हिंद महासागर में लौटा चीन का जासूसी जहाज “युआन वांग 5”

चीन का अत्याधुनिक जासूसी जहाज युआन वांग 5 एक बार फिर भारत के समुद्री पड़ोस में लौट आया है। यह वही जहाज है जो अगस्त 2022 में श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डाले हुए था और उस समय भी भारत ने अपनी सुरक्षा चिंताएँ जाहिर की थीं। इस बार इसकी मौजूदगी और भी संवेदनशील मानी जा रही है क्योंकि भारत ने 24 और 25 सितंबर के बीच बंगाल की खाड़ी पर हाइपरसोनिक लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइल परीक्षण के संकेत दिए हैं। नई दिल्ली इस पूरे घटनाक्रम पर करीबी नजर रखे हुए है।
जहाज की क्षमताएँ और खतरे
युआन वांग 5 चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLA Navy) का सैटेलाइट और मिसाइल ट्रैकिंग जहाज है। इसकी प्रमुख तकनीकी क्षमताएँ इस प्रकार हैं:
- इसमें एम्प्लीट्यूड-कम्पैरिजन मोनोपल्स रडार सिस्टम लगे हैं, जो उच्च सटीकता के साथ लंबी दूरी तक उड़ रहे या कक्षा में मौजूद पिंडों को ट्रैक कर सकते हैं।
- यह जहाज मैनुअल और ऑटोमैटिक दोनों तरीकों से निगरानी और लक्ष्य पहचान करने में सक्षम है।
- इसमें 400 से अधिक कर्मियों का दल रहता है।
- यह जहाज अंतरिक्ष अभियानों और बैलिस्टिक मिसाइलों की निगरानी में प्रयोग होता है।
युआन वांग 5 ने 2007 में सेवा में आने के बाद अब तक 80 से अधिक प्रमुख कार्य पूरे किए हैं, जिनमें शेनझोऊ मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन, चांग’ए चंद्रमा अभियान और बेईदू उपग्रहों की निगरानी शामिल है। वर्ष 2022 में इसे तकनीकी रूप से उन्नत किया गया ताकि इसकी नेविगेशन क्षमता और सुरक्षा प्रदर्शन और बेहतर हो सके।
भारत की सुरक्षा चिंताएँ
भारत ने हाल ही में बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में 24–25 सितंबर के लिए हवाई क्षेत्र प्रतिबंध (NOTAM) जारी किया है, जिससे यह अटकलें तेज हो गईं कि देश जल्द ही अपनी नई हाइपरसोनिक लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइल का परीक्षण कर सकता है। ऐसे समय में चीनी जासूसी जहाज की मौजूदगी भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इसकी डुअल-यूज़ क्षमताएँ न केवल वैज्ञानिक उद्देश्यों बल्कि सैन्य निगरानी के लिए भी प्रयोग हो सकती हैं।
नई दिल्ली को आशंका है कि यह जहाज भारत की मिसाइल तकनीक और परीक्षण संबंधी गोपनीय सूचनाएँ एकत्र कर सकता है। यही कारण है कि भारत लगातार इसके मूवमेंट पर नजर रख रहा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- युआन वांग 5 को सितंबर 2007 में सेवा में शामिल किया गया था।
- यह चीनी पीएलए नेवी की स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स द्वारा संचालित होता है।
- श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह 2016 में चीन की एक सरकारी कंपनी को 99 वर्षों की लीज़ पर दिया गया था।
- अगस्त 2022 में इस जहाज के हंबनटोटा आगमन पर भारत ने श्रीलंका से आधिकारिक तौर पर आपत्ति दर्ज कराई थी।