हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में भीषण गर्मी और औसत से अधिक वर्षा की चेतावनी

हिंदू कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र में इस वर्ष की गर्मी और मानसून सीज़न में तापमान औसत से 2ºC तक अधिक रहेगा और साथ ही भारी वर्षा भी होगी — यह चेतावनी 11 जून 2025 को इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) द्वारा जारी एक नई विश्लेषण रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह परिस्थिति पूरे क्षेत्र में बाढ़, भूस्खलन और जलवायु जोखिमों में वृद्धि का कारण बन सकती है।
तापमान और वर्षा की असमान स्थिति
HKH क्षेत्र — जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन (तिब्बत), म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और भारत शामिल हैं — में लगभग सभी देशों में गर्मी बढ़ने की संभावना जताई गई है। विशेष रूप से भारत, नेपाल, पाकिस्तान और तिब्बत में औसत से अधिक मानसूनी वर्षा की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार:
- भारत और नेपाल: दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना।
- पाकिस्तान: सामान्य से थोड़ी अधिक वर्षा, खासकर उत्तरी पंजाब, दक्षिणी खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में।
- अफगानिस्तान: सामान्य से कम वर्षा और पश्चिमी क्षेत्रों में गंभीर सूखे की आशंका।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 1980 से 2024 के बीच HKH क्षेत्र में हुई कुल बाढ़ का 72.5% हिस्सा मानसून सीज़न के दौरान हुआ।
- HKH क्षेत्र में मानसूनी वर्षा नदियों के प्रवाह और पारिस्थितिकी के लिए जीवनरेखा है।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से हिमनद, हिमावरण और परमा-फ्रॉस्ट प्रणाली प्रभावित हो रही हैं।
- ICIMOD की रिपोर्ट में क्षेत्रीय एजेंसियों और ग्लोबल निकायों जैसे SACOF, APCC, IRI, C3S और WMO के डेटा का उपयोग किया गया है।
जोखिम और चेतावनी की आवश्यकता
ICIMOD के विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि गर्म तापमान और अत्यधिक वर्षा से जलजनित आपदाओं जैसे कि बाढ़, मलबे का बहाव, भूस्खलन और हिम झील फूटने जैसी घटनाओं का जोखिम बढ़ेगा। इसके अलावा, गर्म और आर्द्र वातावरण से हीट स्ट्रेस और डेंगू जैसी बीमारियों के फैलने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
विशेष रूप से अफगानिस्तान जैसे जल-संकटग्रस्त देशों में कम वर्षा से खाद्य और जल सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है, जहां पहले से ही कुपोषण के अत्यधिक स्तर हैं।
तैयारी और समाधान
ICIMOD ने क्षेत्रीय सरकारों और दानदाताओं से आग्रह किया है कि वे बड़े पैमाने पर प्रभाव-आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को अपनाएं और आपदा तैयारी के लिए संसाधनों को बढ़ाएं। आने वाले वर्षों में जलवायु जोखिमों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए यह रणनीतिक रूप से आवश्यक हो गया है।
HKH क्षेत्र पहले से ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की अग्रिम पंक्ति में है। आने वाले मानसून के लिए यह चेतावनी एक अवसर है कि हम वैज्ञानिक पूर्वानुमानों को गंभीरता से लें और सामाजिक, आर्थिक तथा पारिस्थितिक संरचनाओं को सुरक्षित करने के लिए त्वरित उपाय करें।