हनोई बनी विश्व की दूसरी सबसे प्रदूषित राजधानी, गंभीर स्मॉग संकट जारी
वियतनाम की राजधानी हनोई इन दिनों गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में है और यह नई दिल्ली के बाद दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। लगातार एक सप्ताह से अधिक समय तक जारी घनी धुंध और विषैली हवा ने वैश्विक चिंता बढ़ा दी है, जबकि स्थानीय लोग स्वास्थ्य जोखिमों से जूझ रहे हैं।
गंभीर प्रदूषण स्तर और वायु गुणवत्ता में गिरावट
हालिया रिपोर्टों के अनुसार, हनोई में PM2.5 कणों की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सीमा से कहीं अधिक पाई गई है।
- यह सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक जाकर रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- पूरे शहर में एक घना धूसर धुंध का आवरण छाया हुआ है।
- प्रशासन ने नागरिकों से बाहरी गतिविधियों को सीमित करने की सलाह दी है, और स्कूलों को स्थिति बिगड़ने पर बंद करने की चेतावनी दी गई है।
जनजीवन और स्वास्थ्य पर असर
स्थानीय लोग सांस लेने में तकलीफ, आँखों में जलन और थकान की शिकायत कर रहे हैं।
- बच्चों और बुजुर्गों जैसे संवेदनशील वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
- कई घरों में एयर प्यूरीफायर लगाए जा रहे हैं, और नागरिक मास्क पहनने को मजबूर हैं।
- लगातार प्रदूषण से फेफड़ों, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है।
पर्यावरणीय दबाव और कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रदूषण में कई कारक शामिल हैं:
- निर्माण स्थलों से उत्सर्जन,
- भारी ट्रैफिक जिसमें अधिकांश वाहन मोटरसाइकिल और निजी कारें हैं,
- और स्थिर मौसम, जो वायुमंडलीय प्रदूषकों को ऊपर उठने नहीं देता।
इसके अलावा, हाल ही में आई बाढ़ और भूस्खलन ने भी पर्यावरण पर दबाव और बढ़ा दिया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- हनोई वर्तमान में विश्व का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है।
- PM2.5 का स्तर WHO द्वारा तय की गई सीमा से काफी अधिक है।
- स्कूल बंद करने और बाहरी गतिविधियां सीमित करने की सलाह दी गई है।
- वायु प्रदूषण से स्ट्रोक, हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
सरकारी प्रतिक्रिया और जन अपेक्षाएं
हालांकि स्थानीय प्रशासन ने परामर्श और आदेश जारी किए हैं, लेकिन नागरिकों का कहना है कि ये प्रयास पर्याप्त नहीं हैं।
- प्रदूषण से निपटने के लिए कठोर उत्सर्जन नियंत्रण,
- स्वच्छ परिवहन विकल्प अपनाना,
- और शहरी नियोजन में सुधार अब बेहद जरूरी हो गया है।
हनोई का यह संकट एशियाई देशों में बढ़ते वायु प्रदूषण की गंभीरता को उजागर करता है और पर्यावरणीय सुधार की आवश्यकता पर बल देता है।