हड़प्पा शहर धोलावीरा (Dholavira) को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया

हड़प्पा शहर धोलावीरा (Dholavira) को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया

27 जुलाई, 2021 को धोलावीरा (हड़प्पा शहर), जो गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है, को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।  यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया जाने वाला 40वां भारतीय स्थान है। 

मुख्य बिंदु 

  • इस साइट को प्रतिष्ठित सूची में शामिल करने का निर्णय फ़ूज़ौ, चीन में 44वीं यूनेस्को विश्व विरासत समिति सत्र में लिया गया।
  • 25 जुलाई को एक और भारतीय स्थल तेलंगाना में रामप्पा मंदिर को इस सूची में जोड़ा गया था।
  • चंपानेर, अहमदाबाद के चारदीवारी वाले क्षेत्र और रानी की वाव के बाद, धोलावीरा यूनेस्को की इस सूची में शामिल होने वाला गुजरात का चौथा स्थल बन गया है।
  • धोलावीरा दक्षिण एशिया की सबसे अच्छी तरह से संरक्षित शहरी बस्तियों में से एक है।

धोलावीरा (Dholavira)

यह शहर वर्ष 1968 में खोजा गया था, और यह गुजरात राज्य में कच्छ जिले के कच्छ के ग्रेट रण में खादिर द्वीप पर स्थित है। धोलावीरा शहर 22 हेक्टेयर में फैला हुआ है और यह सिंधु घाटी सभ्यता का पांचवां सबसे बड़ा पुरातात्विक स्थल है। यह शहर लगभग 3,000 ईसा पूर्व का है और ऐसा माना जाता है कि इस शहर में  1500 ईसा पूर्व तक तक रहते थे। इसका नाम भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित धोलावीरा गांव से लिया गया है। स्थानीय रूप से इस स्थल को कोटड़ा टिम्बा के नाम से जाना जाता है।

इस साइट को तीन भागों में बांटा गया है। वे मध्य शहर, गढ़ और निचला शहर हैं। गढ़ में किलेबंदी की विस्तृत संरचनाएँ हैं। इस साइट पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा खुदाई से पता चला है कि शहर के घरों का निर्माण चूने के पत्थरों से किया गया था और ये सभी एक सीवेज नेटवर्क से जुड़े थे। यहाँ पर ताजा या बारिश के पानी को स्टोर करने के लिए टैंक भी मिले हैं। इसमें खुदाई के दौरान सजावटी मोती, लाल मिट्टी के बर्तन और सूक्ष्म पाषाण उपकरण भी मिले हैं।

Originally written on July 28, 2021 and last modified on July 28, 2021.

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