स्वालबार्ड में मिला नया वालरस स्थल: उपग्रह तकनीक से आर्कटिक संरक्षण को नई दिशा
वैज्ञानिकों ने आर्कटिक महासागर के दूरस्थ द्वीपसमूह स्वालबार्ड (Svalbard) के तटों पर वालरस (Walrus) के एक नए “हॉल-आउट साइट” की खोज की है। यह खोज ‘Walrus from Space’ परियोजना के तहत उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह छवियों के विश्लेषण से की गई, जो विश्व वन्यजीव कोष (WWF) और ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे (BAS) की संयुक्त संरक्षण पहल है। यह खोज दर्शाती है कि उभरती तकनीकें अब आर्कटिक जैसे संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र में वन्यजीवों की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
‘Walrus from Space’ कार्यक्रम की भूमिका
यह परियोजना वर्ष 2021 में शुरू की गई थी और इसमें आम नागरिकों को ‘Walrus Detectives’ के रूप में शामिल होने का अवसर दिया गया। प्रतिभागियों को हजारों उपग्रह छवियों का विश्लेषण कर वालरस की पहचान और गणना करनी होती है। अब तक लगभग 40,000 स्वयंसेवक इस अभियान से जुड़ चुके हैं। इनके योगदान से वैज्ञानिकों को कनाडा, ग्रीनलैंड और नॉर्वेजियन आर्कटिक क्षेत्रों में अटलांटिक वालरस आबादी की व्यापक गणना करने में मदद मिल रही है, जिससे इनके वितरण और दीर्घकालिक व्यवहारिक पैटर्न को समझा जा सके।
आर्कटिक पारिस्थितिकी में वालरस की भूमिका
वालरस लगभग दो टन तक वजन वाले विशाल समुद्री स्तनधारी हैं और इन्हें की-स्टोन प्रजाति (Keystone Species) माना जाता है क्योंकि ये समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। परंतु जलवायु परिवर्तन इनके अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा बन गया है। समुद्री बर्फ का तीव्र ह्रास जो उनके आराम, प्रजनन और भोजन तक पहुँचने के लिए अत्यंत आवश्यक है उनके व्यवहार और आवास को प्रभावित कर रहा है। परिणामस्वरूप, इनकी निगरानी और संरक्षण की आवश्यकता पहले से अधिक बढ़ गई है।
नई खोज का पारिस्थितिक महत्व
स्वालबार्ड में मिला यह नया “हॉल-आउट साइट” वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करता है कि वालरस घटती बर्फीली परिस्थितियों के अनुरूप खुद को कैसे ढाल रहे हैं। यह खोज संकेत देती है कि वर्तमान में वालरस की आबादी और गतिशीलता के बारे में अभी भी कई ज्ञान-रिक्तियाँ मौजूद हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में इस तरह की उपग्रह-आधारित निगरानी से जलवायु परिवर्तन के विभिन्न परिदृश्यों में इनके व्यवहार का पूर्वानुमान लगाना संभव होगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- नया वालरस स्थल स्वालबार्ड में उपग्रह चित्रों से खोजा गया।
- ‘Walrus from Space’ परियोजना WWF और BAS की संयुक्त पहल है, आरंभ वर्ष 2021।
- लगभग 40,000 स्वयंसेवक ‘Walrus Detectives’ के रूप में योगदान दे रहे हैं।
- वालरस एक की-स्टोन प्रजाति है, जो समुद्री बर्फ के घटने से गंभीर खतरे में है।
वैश्विक संरक्षण प्रयासों की दिशा में
यह परियोजना आर्कटिक क्षेत्र में वालरस संरक्षण के लिए आवश्यक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध करा रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण आवासीय व्यवधान तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में बड़े पैमाने की निगरानी प्रणालियाँ और जनसहभागिता आधारित शोध अब वन्यजीव संरक्षण के केंद्र में हैं। यह पहल न केवल वालरस जैसी प्रतीकात्मक समुद्री प्रजातियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने में मदद कर रही है, बल्कि आर्कटिक पारिस्थितिकी के दीर्घकालिक संतुलन को बनाए रखने में भी अहम योगदान दे रही है।