स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री का बड़ा ऐलान: जीएसटी 2.0 और भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

स्वतंत्रता दिवस 2025 के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को एक बड़ा आर्थिक तोहफा दिया। उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली में व्यापक सुधार की घोषणा की, जिसके तहत चार प्रमुख टैक्स स्लैब्स (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर अब केवल दो दरों — 5% और 18% — में समाहित किया जाएगा। हालांकि, तंबाकू जैसे “पाप” उत्पादों पर 40% का दंडात्मक टैक्स बरकरार रहेगा। सरकार का उद्देश्य है कि इस टैक्स सरलीकरण से अनुपालन आसान हो, आर्थिक विकृतियाँ कम हों, और उपभोक्ताओं के हाथ में अधिक पैसा पहुँचे।
जीएसटी 2.0 की पृष्ठभूमि: क्या यह 2019 की तरह एक अस्थायी समाधान है?
इस घोषणा ने निवेशकों और अर्थशास्त्रियों को 2019 की याद दिला दी, जब तत्कालीन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स दरों में कटौती की थी। उस समय 30% की दर को घटाकर 22% और नए निर्माताओं के लिए 15% कर दिया गया था। शुरुआती उत्साह के बावजूद, निवेश और रोजगार सृजन पर इसका सीमित प्रभाव ही पड़ा। विशेषज्ञों का मानना है कि उसी तरह, यदि GST 2.0 भी केवल संकट से निपटने का तात्कालिक प्रयास मात्र है, तो यह दीर्घकालिक विकास की समस्याओं को नहीं सुलझा पाएगा।
वर्तमान आर्थिक स्थिति और GST 2.0 की संभावनाएँ
2025 की आर्थिक स्थिति 2019 जितनी गंभीर नहीं है, परंतु सशक्त भी नहीं कही जा सकती। अप्रैल-जून तिमाही (Q1FY26) में भारत की प्रमुख कंपनियों की कोर कमाई में 3.3% की गिरावट आई। औद्योगिक उत्पादन जून में घटकर 10 महीने के निचले स्तर 1.5% पर पहुंच गया। बैंकों में फंसे कर्ज (NPA) भी बढ़ते दिख रहे हैं, जिससे वित्तीय प्रणाली पर दबाव बढ़ा है।
इन हालातों में, GST 2.0 घरेलू खपत को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का अनुमान है कि टैक्स सरलीकरण से वार्षिक खपत में लगभग ₹2 ट्रिलियन यानी घरेलू मांग का 8% तक इजाफा हो सकता है। चूंकि भारत की जीडीपी में खपत की हिस्सेदारी लगभग 60% है, यह कदम अर्थव्यवस्था में सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
अमेरिका के साथ व्यापार तनाव: GST 2.0 की उत्पत्ति?
GST 2.0 की घोषणा के पीछे एक बड़ा भू-राजनीतिक कारण भी है। अमेरिका ने भारत को रूस के युद्ध प्रयासों का “प्रमुख सहायक” करार देते हुए 27 अगस्त से भारतीय निर्यात पर 50% शुल्क लगाने की घोषणा की है। इससे भारत के अमेरिका को होने वाले $80 बिलियन के वार्षिक निर्यात का आधा हिस्सा प्रभावित हो सकता है। इस संदर्भ में घरेलू खपत को बढ़ाना अनिवार्य हो गया है ताकि निर्यात में आई गिरावट की भरपाई हो सके।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2017 में भारत में GST प्रणाली लागू की गई थी, जिसे देश के सबसे बड़े कर सुधारों में से एक माना जाता है।
- वर्तमान में भारत में चार प्रमुख GST दरें थीं: 5%, 12%, 18%, और 28%।
- 2019 में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के बाद सेंसेक्स में दो दिन में 8.1% की बढ़त दर्ज हुई थी।
- भारत की GDP में घरेलू खपत की हिस्सेदारी लगभग 60% है, जो विकास को स्थायित्व देती है।
GST 2.0 की घोषणा एक ऐसे समय पर हुई है जब भारत को बाहरी और आंतरिक दोनों तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह एक सकारात्मक कदम हो सकता है यदि इसे व्यापक आर्थिक रणनीति के तहत लागू किया जाए। केवल टैक्स कटौती से दीर्घकालिक विकास नहीं सुनिश्चित किया जा सकता; इसके लिए ढांचागत सुधार, व्यापार सुगमता और नीति स्थायित्व आवश्यक हैं। यदि यह पहल केवल एक संकट से निपटने की तात्कालिक रणनीति बनकर रह जाती है, तो इसका असर सीमित ही होगा।