स्पेस में उपग्रहों का डॉकिंग: ISRO का अगला मिशन SpaDeX 2 अब दीर्घवृत्ताकार कक्षा में

स्पेस में उपग्रहों का डॉकिंग: ISRO का अगला मिशन SpaDeX 2 अब दीर्घवृत्ताकार कक्षा में

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने पहले स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) की सफलता के बाद अब एक और चुनौतीपूर्ण मिशन की तैयारी शुरू कर दी है। इस बार SpaDeX 2 मिशन के तहत दो उपग्रहों को दीर्घवृत्ताकार (elliptical) कक्षा में जोड़ने की योजना बनाई जा रही है, जो न केवल तकनीकी रूप से जटिल है बल्कि भारत के भविष्य के चंद्रयान-4 और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों के लिए बेहद महत्वपूर्ण भी है।

SpaDeX 1: एक मील का पत्थर

जनवरी 2024 में, ISRO ने दो 220 किलोग्राम वजनी उपग्रहों को 470 किलोमीटर की वृत्ताकार (circular) कक्षा में भेजा और एक छोटे सापेक्ष वेग के माध्यम से उन्हें अलग कर धीरे-धीरे एक-दूसरे के निकट लाया। अंततः इनका सफल डॉकिंग किया गया, जिससे भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा ऐसा देश बना जिसने स्पेस डॉकिंग में सफलता प्राप्त की।
इस प्रयोग के दौरान न केवल उपग्रहों को जोड़ा गया बल्कि उनके बीच ऊर्जा साझा करने और एकीकृत इकाई के रूप में कमांड प्राप्त करने की क्षमता भी दिखाई गई।

SpaDeX 2 की चुनौती: दीर्घवृत्ताकार कक्षा में डॉकिंग

SpaDeX 2 मिशन का उद्देश्य उन तकनीकी सीमाओं को पार करना है जो दीर्घवृत्ताकार कक्षा में डॉकिंग को और भी कठिन बनाती हैं। वृत्ताकार कक्षा में गति और पथ स्थिर होते हैं, जबकि दीर्घवृत्ताकार कक्षा में वे लगातार बदलते रहते हैं। इसका अर्थ है कि किसी भी क्षण के लिए किए गए गति-संबंधी गणनाएं कुछ मिनटों बाद अप्रासंगिक हो जाती हैं।
चूंकि चंद्रयान-4 जैसे मिशनों में उपग्रहों को पृथ्वी से दीर्घवृत्ताकार कक्षा में छोड़कर क्रमशः चंद्र कक्षा में स्थानांतरित किया जाता है, ऐसे में इस प्रकार की डॉकिंग क्षमता भविष्य की चंद्र यात्राओं के लिए अनिवार्य है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • SpaDeX मिशन: ISRO द्वारा विकसित इन-स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट।
  • पहला सफल डॉकिंग: जनवरी 2024 में दो उपग्रहों को 470 किमी की कक्षा में जोड़ा गया।
  • SpaDeX 2: दीर्घवृत्ताकार कक्षा में डॉकिंग करने का अगला मिशन।
  • अंतरिक्ष स्टेशन योजना: भारत के भावी ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ में भी यह तकनीक आवश्यक होगी।

सीख और आगे की राह

SpaDeX 1 के पहले प्रयास में उपग्रहों को बहुत धीमी गति से निर्धारित बिंदुओं – 5 किमी, 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और 3 मीटर – पर रोकते हुए पास लाया गया। इसके बाद SpaDeX 2 में प्रक्रिया अधिक सहज और तेज रही, क्योंकि प्रारंभिक परीक्षणों से मिले अनुभवों का लाभ लिया गया।
इस परियोजना के तहत कई सेंसर विशेष रूप से इस प्रयोग के लिए बनाए गए थे और उन्हें अंतरिक्ष स्थितियों के अनुसार कैलिब्रेट कर पृथ्वी पर विस्तृत सिमुलेशन के बाद उपयोग में लाया गया।

निष्कर्ष

SpaDeX 2 केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में एक निर्णायक कदम है। इस मिशन के सफल होने से भारत की चंद्र और दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों में आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता और भी मजबूत होगी। ISRO की यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ और वैश्विक अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा में भारत की बढ़ती भागीदारी का प्रतीक बन चुकी है।

Originally written on June 23, 2025 and last modified on June 23, 2025.

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