स्नोफ्लेक यीस्ट और बहुकोशिकीय जीवन की उत्पत्ति पर नया दृष्टिकोण

स्नोफ्लेक यीस्ट और बहुकोशिकीय जीवन की उत्पत्ति पर नया दृष्टिकोण

नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (NCBS), बेंगलुरु की प्रयोगशाला में 2019 में एक असामान्य घटना देखी गई — एक यीस्ट कॉलोनी, जो अपने सामान्य आकार से कहीं अधिक बड़ी हो चुकी थी। यह स्नोफ्लेक यीस्ट अमेरिका के जॉर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से भेजा गया था, और यही जीव वैज्ञानिकों के लिए विकासवाद का एक नया रहस्य बन गया।

स्नोफ्लेक यीस्ट की विशेषता

सामान्य यीस्ट एकल-कोशिकीय होता है और अपने शरीर से छोटी कलिकाएं बनाकर विभाजित होता है। लेकिन स्नोफ्लेक यीस्ट में एक आनुवंशिक बदलाव कलिका को गिरने से रोकता है, जिससे कोशिकाएं एक-दूसरे से जुड़ती जाती हैं और ‘बर्फ के फाहे’ जैसे समूह में बदल जाती हैं। यह समूह 12 घंटे में इतना बड़ा हो जाता है कि नंगी आंखों से दिखाई देने लगता है।

जब भौतिकी ने जीव विज्ञान को दिशा दी

स्नोफ्लेक यीस्ट में कोई जैविक पोषण वितरण प्रणाली नहीं होती, फिर भी वह बड़े आकार में बढ़ता रहा। NCBS के शोधकर्ताओं ने पाया कि यह वृद्धि किसी जटिल जैव संरचना के कारण नहीं, बल्कि एक सरल भौतिक प्रक्रिया — एडवेक्शन — से संभव हुई। इस प्रक्रिया में जब यीस्ट क्लस्टर आसपास के घोल से ग्लूकोज़ का उपभोग करता है और अल्कोहल व CO₂ का उत्सर्जन करता है, तो घोल की सघनता कम हो जाती है और वह ऊपर उठने लगता है। इस प्रवाह के कारण पोषक तत्व क्लस्टर के अंदर तक पहुंच जाते हैं।

प्रयोग और पुष्टि

शोधकर्ताओं ने घोल में नीली रोशनी में चमकने वाले कण मिलाए और माइक्रोस्कोप से देखा कि जैसे ही यीस्ट क्लस्टर बढ़ता है, द्रव उसके किनारों से अंदर प्रवेश करता है और ऊपर से बाहर निकलता है। मृत क्लस्टर के चारों ओर कोई प्रवाह नहीं दिखा, जिससे पुष्टि हुई कि जीवित यीस्ट की चयापचय क्रिया ही इस प्रवाह का कारण है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • स्नोफ्लेक यीस्ट का उपयोग वैज्ञानिकों द्वारा बहुकोशिकीय जीवन की उत्पत्ति को समझने के लिए किया जाता है।
  • एडवेक्शन (Advection) एक भौतिक प्रक्रिया है जिसमें तरल पदार्थ का प्रवाह खुद पोषक तत्वों को साथ ले जाता है।
  • NCBS भारत का प्रमुख जैविक अनुसंधान संस्थान है, जो बेंगलुरु में स्थित है।
  • यह शोध ‘Science Advances’ के जून 2025 अंक में प्रकाशित हुआ और भारत-अमेरिका के वैज्ञानिकों का संयुक्त प्रयास है।

इस अध्ययन का नतीजा यह है कि बहुकोशिकीयता की उत्पत्ति केवल आनुवंशिक परिवर्तनों से नहीं, बल्कि भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से भी हो सकती है। यह विचार जैव विकास की परंपरागत समझ को चुनौती देता है और विज्ञान को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है। प्रयोगशाला में पाए गए ये घटनाक्रम भले ही प्रकृति में न हों, लेकिन वे जीवन की व्यापक परिभाषा में निस्संदेह आते हैं।

Originally written on June 23, 2025 and last modified on June 23, 2025.

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