स्क्रॉमिटिंग: लगातार गांजा सेवन से जुड़ी नई वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती

स्क्रॉमिटिंग: लगातार गांजा सेवन से जुड़ी नई वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती

दुनिया भर में आपातकालीन विभागों में बढ़ते मामलों ने एक नई चिकित्सा स्थिति स्क्रॉमिटिंग को वैश्विक ध्यान का केंद्र बना दिया है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित प्रमुख स्वास्थ्य एजेंसियों ने इसे एक औपचारिक स्वास्थ्य विकार के रूप में मान्यता दी है। जैसे-जैसे दुनिया भर में गांजा (कैनबिस) का उपयोग बढ़ रहा है, यह विकार एक गंभीर जनस्वास्थ्य चिंता बनता जा रहा है।

स्क्रॉमिटिंग क्या है?

‘स्क्रॉमिटिंग’ शब्द आपातकालीन कक्ष के कर्मचारियों द्वारा गढ़ा गया एक अनौपचारिक नाम है, जो screaming और vomiting (चीखना और उल्टी करना) के संयोजन को दर्शाता है। चिकित्सकीय रूप से इसे कैनबिनॉइड हाइपरएमेसिस सिंड्रोम (CHS) कहा जाता है। इस स्थिति में रोगी को अत्यधिक और बार-बार उल्टी, पेट में तीव्र दर्द, और लंबी अवधि तक बनी रहने वाली मिचली की समस्या होती है, जो कई घंटों या दिनों तक जारी रह सकती है।

वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा औपचारिक मान्यता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने CHS को औपचारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय रोग वर्गीकरण (ICD) में शामिल किया है। इसे ICD-10 में R11.16 और ICD-11 में DD90.4 कोड के तहत सूचीबद्ध किया गया है। इस कोडिंग से विभिन्न देशों को इसके प्रसार और स्वास्थ्य प्रभावों का सटीक आंकलन करने में मदद मिलेगी। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने भी इस वर्गीकरण को अपनाया है, ताकि पूरे देश में CHS से जुड़े मामलों की निगरानी की जा सके।

दीर्घकालिक गांजा सेवन क्यों बनता है कारण

वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि लंबे समय तक और लगातार गांजा सेवन इस विकार का मुख्य कारण है। जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि CHS से पीड़ित रोगियों को बार-बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, और कई बार उन्हें यह भी ज्ञात नहीं होता कि यही नशा इसके पीछे की वजह है। वहीं, एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी के 2025 के अध्ययन ने संकेत दिया कि अवैध या दूषित गांजे में फ्यूज़ेरियम मायकोटॉक्सिन्स नामक विषाक्त तत्व मौजूद हो सकते हैं, जो उल्टी की गंभीरता बढ़ाकर CHS को और खतरनाक बना देते हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ‘स्क्रॉमिटिंग’ का चिकित्सकीय नाम कैनबिनॉइड हाइपरएमेसिस सिंड्रोम (CHS) है।
  • इसे WHO ने ICD-10 (R11.16) और ICD-11 (DD90.4) में शामिल किया है।
  • लंबे समय या दैनिक गांजा सेवन से CHS का खतरा बढ़ता है।
  • दूषित गांजे में मौजूद मायकोटॉक्सिन्स लक्षणों को और तीव्र कर सकते हैं।

बढ़ता जनस्वास्थ्य प्रभाव

अध्ययनों से पता चलता है कि स्क्रॉमिटिंग से पीड़ित लोगों में बार-बार अस्पताल में भर्ती होने की प्रवृत्ति अधिक होती है, विशेष रूप से उन व्यक्तियों में जो रोजाना या किशोरावस्था से गांजा का सेवन करते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञ अब नियमित उपयोगकर्ताओं को इसके खतरों के बारे में जागरूक करने और नशा छोड़ने में सहायता देने पर जोर दे रहे हैं।

Originally written on December 2, 2025 and last modified on December 2, 2025.

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