सौर मंडल की नई खोज: ‘चिरोन’ नामक बर्फीले पिंड के चारों ओर बन रहे हैं वलय

शनि ग्रह के वलय (rings) सौर मंडल की सबसे खूबसूरत संरचनाओं में गिने जाते हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक छोटे बर्फीले खगोलीय पिंड — चिरोन (Chiron) — के चारों ओर भी वलय संरचना के बनने की प्रक्रिया को देखा है। यह खोज इस दिशा में पहली बार है जब किसी छोटे पिंड के चारों ओर वलयों का निर्माण और विकास होते हुए देखा गया है।
चिरोन क्या है और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
चिरोन, जिसे औपचारिक रूप से (2060) Chiron कहा जाता है, सौर मंडल के बाहरी हिस्से में स्थित एक “सेंटरौर (Centaur)” वर्ग का सदस्य है। यह वर्ग बृहस्पति और नेपच्यून के बीच की कक्षा में घूमने वाले उन पिंडों का समूह है जो क्षुद्रग्रहों (asteroids) और धूमकेतुओं (comets) दोनों के गुण दर्शाते हैं।
- चिरोन का व्यास लगभग 200 किलोमीटर है।
- यह सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग 50 वर्ष लेता है।
- इसमें चट्टान, जल बर्फ और जटिल कार्बनिक यौगिक पाए जाते हैं।
वलयों की खोज कैसे हुई?
2023 में ब्राज़ील के Pico dos Dias वेधशाला से की गई अवलोकनों के साथ 2011, 2018 और 2022 के आंकड़ों को मिलाकर वैज्ञानिकों ने चिरोन के चारों ओर चार वलयों और एक धूल भरे डिस्क जैसी संरचना की पहचान की। तीन घने वलय क्रमशः चिरोन के केंद्र से 273 किमी, 325 किमी और 438 किमी की दूरी पर हैं। चौथा और सबसे बाहरी वलय लगभग 1,400 किमी की दूरी पर स्थित है, जो अब तक सबसे दूर पाया गया है।
इन वलयों का पता stellar occultation नामक विधि से लगाया गया, जिसमें वैज्ञानिक तब अवलोकन करते हैं जब कोई वस्तु किसी दूरस्थ तारे के सामने से गुजरती है। तारे की रोशनी में आने वाले बदलावों से उस वस्तु के आकार और परिवेश की पहचान की जाती है।
वलयों की उत्पत्ति और संरचना
- वैज्ञानिकों के अनुसार चिरोन के वलय मुख्य रूप से जल बर्फ और थोड़ी मात्रा में चट्टानी कणों से बने हैं — यह संरचना शनि के वलयों के समान है।
- यह संभव है कि चिरोन के किसी छोटे चंद्रमा के टकराव या अन्य अंतरिक्ष मलबे के कारण यह वलय बने हों।
- कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि चिरोन की धूमकेतु जैसी गतिविधियों के दौरान उत्सर्जित गैस और धूल भी वलयों की उत्पत्ति में योगदान कर सकती है।
वर्तमान अवलोकनों में वलयों की स्थिति और संरचना में बदलाव भी पाए गए हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि यह प्रणाली निरंतर विकसित हो रही है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- चिरोन 1977 में खोजा गया था और यह पहला ज्ञात सेंटरौर है।
- 2014 के बाद से छोटे खगोलीय पिंडों में वलयों की खोज शुरू हुई, जिसमें चिरोन चौथा पिंड है।
- अन्य छोटे पिंड जिनके चारों ओर वलय हैं: Chariklo, Haumea, और Quaoar।
- जल बर्फ वलयों की स्थिरता बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाती है क्योंकि यह कणों को चंद्रमा बनने से रोकती है।