सौर ऑर्बिटर ने सौर ऊर्जा कणों की उत्पत्ति का किया खुलासा: अंतरिक्ष मौसम को समझने में बड़ी सफलता

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और NASA के संयुक्त मिशन ‘सौर ऑर्बिटर’ ने सूर्य से निकलने वाले उच्च-ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों की उत्पत्ति का पता लगाकर अंतरिक्ष मौसम (स्पेस वेदर) की हमारी समझ को एक नया आयाम दिया है। नवंबर 2020 से दिसंबर 2022 के बीच, इस अंतरिक्ष यान ने 300 से अधिक ‘सौर ऊर्जा इलेक्ट्रॉन’ (Solar Energetic Electrons – SEE) विस्फोटों को दर्ज किया, जो सूर्य के सतही घटनाओं से जुड़े हुए पाए गए।
सौर ऊर्जा इलेक्ट्रॉन और उनका स्रोत
SEE दो प्रकार के होते हैं: एक वे जो सौर फ्लेयर्स (solar flares) — सूर्य की सतह के छोटे क्षेत्र में हुए विस्फोटों — से जुड़े होते हैं, और दूसरे वे जो धीरे-धीरे निकलते हैं और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) — सूर्य के वायुमंडल से अरबों टन प्लाज़्मा और चुंबकीय क्षेत्र के विस्फोट — से संबंधित होते हैं। सौर ऑर्बिटर पहली बार यह स्पष्ट रूप से दिखाने में सफल रहा कि कैसे ये ऊर्जा इलेक्ट्रॉन सूर्य पर होने वाली घटनाओं से जुड़ते हैं और फिर अंतरिक्ष में फैलते हैं।
अनुसंधानकर्ता फ्रेडरिक शुलर और अलेक्जेंडर वर्मुथ के अनुसार, यह यान ना केवल सूर्य के निकट से इन इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह से गुजरा, बल्कि उसने अंतरिक्षीय वातावरण की भी जानकारी जुटाई जो सूर्य और यान के बीच मौजूद था।
अंतरिक्ष मौसम पर पड़ने वाला प्रभाव
SEE और CME जैसी घटनाएं पृथ्वी पर अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित करती हैं। इससे सैटेलाइट संचार, GPS नेविगेशन और विद्युत आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण प्रणालियों में गड़बड़ी आ सकती है। शोध में पाया गया कि CME, SEE की तुलना में कहीं अधिक ऊर्जा ले जाते हैं और इसलिए पृथ्वी तथा उपग्रहों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं।
CME के दौरान SEE के अंतरिक्ष में पहुँचने में कुछ घंटों की देरी भी देखी गई। इसका कारण या तो देर से मुक्त होना हो सकता है या फिर अंतरिक्ष में मौजूद टर्बुलेंस के कारण इलेक्ट्रॉनों का बिखराव, जो उन्हें विभिन्न दिशाओं में भेज देता है और जिससे उनके पकड़ने में देरी होती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सौर ऑर्बिटर 2020 में लॉन्च हुआ था और यह सूर्य के ध्रुवों की पहली छवि लेने वाला यान है।
- यान में 10 वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं, जो सौर पवन (solar wind) और सूर्य की सतह की दूर से निगरानी करते हैं।
- SEE दो प्रमुख घटनाओं से जुड़े होते हैं: सौर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन (CME)।
- अंतरिक्ष मौसम से पृथ्वी पर GPS, उपग्रह संचार और बिजली प्रणालियों पर असर पड़ता है।
भविष्य की सुरक्षा और शोध की दिशा
सौर ऑर्बिटर द्वारा जुटाई गई जानकारी भविष्य में अंतरिक्ष यानों और अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मददगार हो सकती है। ESA के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट डेनियल मुलर के अनुसार, यह शोध हमें सूर्य से निकलने वाले हानिकारक कणों को बेहतर समझने और उनके प्रभाव को कम करने की दिशा में ले जा सकता है।
यह यान सूर्य की उन बुनियादी पहेलियों को हल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो अभी तक अनसुलझी हैं — जैसे सूर्य की 11-वर्षीय चक्र की वजह, कोरोना का अत्यधिक तापमान, सौर पवन की उत्पत्ति और उसका तीव्र वेग, और इन सभी का पृथ्वी पर पड़ने वाला प्रभाव।
सौर ऑर्बिटर का यह योगदान न केवल विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पृथ्वी की सुरक्षा और भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।