‘सैनिक तुझे सलाम’ पहल: असम ने सशस्त्र बल झंडा दिवस पर दी नई पहचान
असम ने सशस्त्र बल झंडा दिवस के अवसर पर अपने वीर सैनिकों और उनके परिवारों के सम्मान में एक नई पहल की शुरुआत की है। राज्यपाल ने “सैनिक तुझे सलाम” कार्यक्रम का शुभारंभ किया, जो देश की सेवा में योगदान देने वाले वरिष्ठ पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और वीर माताओं को सम्मानित करने की एक संवेदनशील पहल है। यह कार्यक्रम राज्य सरकार की सैन्य कल्याण उपायों को और सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पूर्व सैनिकों और परिवारों के लिए नई पहल
“सैनिक तुझे सलाम” कार्यक्रम विशेष रूप से 90 वर्ष से अधिक आयु के पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और वीर माताओं को सम्मानित करने पर केंद्रित है। जिला प्रशासन और ज़िला सैनिक कल्याण कार्यालयों को प्रत्येक वर्ष उनके घर जाकर सम्मान और आवश्यक सहायता प्रदान करने का दायित्व सौंपा गया है। इस पहल के माध्यम से राज्य एक दीर्घकालिक सहायता तंत्र स्थापित करना चाहता है, जिससे पूर्व सैनिक समुदाय को निरंतर सहयोग और संवेदनशीलता का अनुभव हो।
राज्यस्तरीय समारोह और झंडा दिवस का महत्व
गुवाहाटी स्थित लोक भवन में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में सशस्त्र बलों के बलिदान और साहस को नमन किया गया। राज्यपाल ने अपने संबोधन में उन सैनिकों की भूमिका पर प्रकाश डाला जो कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं और प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत कार्यों में अग्रणी रहते हैं। यह दिवस न केवल श्रद्धांजलि का अवसर है, बल्कि अनुशासन, साहस और मानवीय संवेदना जैसे मूल्यों के प्रति समाज की कृतज्ञता व्यक्त करने का भी प्रतीक है।
असम का पूर्व सैनिक समुदाय और कल्याण नेटवर्क
असम में लगभग 41,968 पूर्व सैनिक और 10,361 वीर नारियाँ निवास करती हैं। इन सभी के कल्याण के लिए सैनिक कल्याण निदेशालय और 21 ज़िला सैनिक कल्याण कार्यालय सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। हाल ही में राज्य को रक्षा मंत्री द्वारा पूर्व सैनिक कल्याण और जनसंपर्क कार्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए विशेष प्रशंसा प्राप्त हुई है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- नई पहल: “सैनिक तुझे सलाम”
- सम्मानित वर्ग: 90 वर्ष से अधिक आयु के पूर्व सैनिक, वीर नारियाँ और वीर माताएँ
- असम में पूर्व सैनिक: 41,968
- वीर नारियाँ: 10,361
- वार्षिक गृह भेंट: जिला प्रशासन और सैनिक कल्याण कार्यालयों द्वारा
- विशेष सम्मान: सितंबर 2025 में राष्ट्रीय प्रशंसा प्राप्त
जनसहभागिता और झंडा दिवस कोष
कार्यक्रम के दौरान नागरिकों से सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष में योगदान करने की अपील की गई, जिससे सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण कार्यों को सहायता मिल सके। राज्यपाल ने कहा कि यद्यपि आर्थिक योगदान सैनिकों के बलिदान की तुलना नहीं कर सकता, परंतु समाज की सामूहिक भागीदारी उनके सम्मान, गरिमा और कल्याण को सुनिश्चित करने में एक सशक्त भूमिका निभा सकती है।