सेवा क्षेत्र बना भारत का सबसे बड़ा रोजगार इंजन
 
नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, भारत का सेवा क्षेत्र अब देश का सबसे गतिशील और प्रमुख रोजगार सृजन क्षेत्र बन गया है। 2023–24 में कुल रोजगार में इसकी हिस्सेदारी लगभग 30% तक पहुंच गई है, जो भारत की विकसित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ती यात्रा में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। पिछले छह वर्षों में सेवा क्षेत्र ने लगभग 4 करोड़ नए रोजगार उत्पन्न किए हैं।
आर्थिक बदलाव का नेतृत्व करता सेवा क्षेत्र
नीति आयोग की दो प्रमुख रिपोर्टें — “भारत का सेवा क्षेत्र: रोजगार प्रवृत्तियों और राज्य स्तरीय गतिशीलताओं से अंतर्दृष्टियाँ” और “भारत का सेवा क्षेत्र: सकल मूल्य वर्धन (GVA) प्रवृत्तियों और राज्य स्तरीय विश्लेषण” — इस बात को उजागर करती हैं कि सेवा क्षेत्र की रोजगार में हिस्सेदारी 2011–12 में 26.9% से बढ़कर 2023–24 में 29.7% हो गई है। वर्तमान में इस क्षेत्र में लगभग 18.8 करोड़ लोग कार्यरत हैं। हालांकि यह वृद्धि उल्लेखनीय है, फिर भी यह वैश्विक औसत 50% से पीछे है, जो यह दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी संरचनात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रही है।
महामारी के बाद सेवा क्षेत्र में लचीलापन
रिपोर्टों के अनुसार, कोविड-19 महामारी के बाद सेवा क्षेत्र में ‘रोजगार लोच’ (employment elasticity) में तेज सुधार देखा गया है। महामारी से पहले यह आंकड़ा 0.35 था, जो अब बढ़कर 0.63 हो गया है। इसका अर्थ है कि अब सेवा क्षेत्र में उत्पादन वृद्धि के साथ रोजगार वृद्धि का संबंध अधिक मजबूत हो गया है, जो इस क्षेत्र की अनुकूलनशीलता और स्थायित्व को दर्शाता है।
आधुनिक सेवाएं बनीं भविष्य की दिशा
हालांकि व्यापार, परिवहन और मरम्मत जैसे पारंपरिक क्षेत्र अब भी रोजगार में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, लेकिन वित्त, सूचना प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक सेवाओं जैसे आधुनिक सेवा क्षेत्र तेजी से नई नौकरियों का निर्माण कर रहे हैं। ये क्षेत्र उच्च उत्पादकता, बेहतर वेतन और वैश्विक संपर्कों के लिए जाने जाते हैं, जो इन्हें भविष्य में भारत के आर्थिक विकास का स्तंभ बना सकते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सेवा क्षेत्र की रोजगार हिस्सेदारी 2011–12 में 26.9% से बढ़कर 2023–24 में 29.7% हुई।
- पिछले 6 वर्षों में इस क्षेत्र में 4 करोड़ नए रोजगार जुड़े।
- कुल सेवा क्षेत्र में कार्यरत लोगों की संख्या लगभग 188 मिलियन (18.8 करोड़) है।
- कोविड से पहले रोजगार लोच 0.35 थी, जो अब 0.63 हो गई है।
- वैश्विक सेवा क्षेत्र रोजगार औसत लगभग 50% है।
क्षेत्रीय असमानताएं और ‘विकसित भारत 2047’ की रूपरेखा
रिपोर्ट यह भी दर्शाती हैं कि आधुनिक सेवा क्षेत्र में रोजगार की हिस्सेदारी दक्षिण और पश्चिमी राज्यों में अधिक है, जबकि छोटे और पूर्वोत्तर राज्य शिक्षा, स्वास्थ्य और सार्वजनिक प्रशासन जैसे क्षेत्रों पर अधिक निर्भर हैं। नीति आयोग ने स्पष्ट किया है कि इन अंतर्दृष्टियों के आधार पर ‘विकसित भारत 2047’ की रणनीति तैयार की जाएगी, जिसमें राज्य-विशिष्ट और क्षेत्र-केंद्रित नीतियों के माध्यम से सेवा क्षेत्र आधारित विकास और रोजगार विस्तार को गति दी जाएगी।
