सेवा क्षेत्र पर NITI आयोग की नई रिपोर्ट: संतुलित विकास और समावेशी रोजगार की दिशा में
हाल ही में नीति आयोग के सीईओ श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने दो महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स का शुभारंभ किया, जो भारत के सेवा क्षेत्र की व्यापक समीक्षा प्रस्तुत करती हैं। इस अवसर पर डॉ. अरविंद विरमाणी (सदस्य, नीति आयोग) और डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन (मुख्य आर्थिक सलाहकार, भारत सरकार) भी उपस्थित रहे। ये रिपोर्ट्स सेवा क्षेत्र के उत्पादन और रोजगार के दृष्टिकोण से विस्तृत और राज्य-स्तरीय विश्लेषण प्रस्तुत करती हैं।
सेवाओं में क्षेत्रीय असमानताओं की ओर बढ़ता संतुलन
पहली रिपोर्ट “भारत का सेवा क्षेत्र: सकल मूल्य वर्धन (GVA) प्रवृत्तियों और राज्य स्तरीय गतिशीलता से अंतर्दृष्टियाँ” देश और राज्यों के स्तर पर सेवा क्षेत्र के विकास का मूल्यांकन करती है। रिपोर्ट में यह दर्शाया गया है कि सेवा-आधारित विकास अब अधिक क्षेत्रीय रूप से संतुलित हो रहा है। भले ही राज्यों के बीच सेवा क्षेत्र के योगदान में कुछ असमानताएँ बनी हुई हैं, लेकिन जो राज्य अब तक पीछे थे वे अब तेजी से उभर रहे हैं। यह प्रवृत्ति भारत के संतुलित क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
इसके साथ ही रिपोर्ट सुझाव देती है कि डिजिटल अवसंरचना, लॉजिस्टिक्स, नवाचार, वित्त और कौशल विकास में प्राथमिकता दी जाए ताकि सेवा क्षेत्र अधिक विविध और प्रतिस्पर्धी बन सके। राज्य सरकारों को स्थानीय क्षमताओं के आधार पर विशेष सेवा रणनीतियाँ विकसित करने की सिफारिश की गई है।
सेवा क्षेत्र में रोजगार की असमानता और संभावनाएँ
दूसरी रिपोर्ट “भारत का सेवा क्षेत्र: रोजगार प्रवृत्तियों और राज्य स्तरीय विश्लेषण” सेवा क्षेत्र में कार्यबल की संरचना को विविध दृष्टिकोणों — जैसे उप-क्षेत्र, लिंग, शिक्षा, क्षेत्र और पेशा — से विश्लेषित करती है। रिपोर्ट यह उजागर करती है कि सेवा क्षेत्र दोहरी प्रकृति का है: एक ओर उच्च उत्पादकता वाले आधुनिक खंड हैं जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी हैं लेकिन सीमित रोजगार उत्पन्न करते हैं, वहीं दूसरी ओर पारंपरिक खंड हैं जो अधिक श्रमिकों को रोजगार तो देते हैं लेकिन अनौपचारिक और कम वेतन आधारित होते हैं।
इस असंतुलन को दूर करने के लिए रिपोर्ट चार स्तरीय नीति रोडमैप सुझाती है:
- गिग, स्वरोजगार और एमएसएमई श्रमिकों के लिए औपचारिकीकरण और सामाजिक सुरक्षा।
- महिलाओं और ग्रामीण युवाओं के लिए लक्षित कौशल प्रशिक्षण और डिजिटल पहुँच।
- हरित अर्थव्यवस्था और नवाचार आधारित कौशल में निवेश।
- द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में सेवा केंद्रों के माध्यम से क्षेत्रीय संतुलन।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2024–25 में भारत के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में सेवा क्षेत्र का योगदान लगभग 55% है।
- भारत की सेवा अर्थव्यवस्था वैश्विक व्यापार में तेजी से स्थान बना रही है, विशेषकर आईटी और डिजिटल सेवाओं में।
- नीति आयोग की यह रिपोर्ट सेवा क्षेत्र के लिए पहली व्यापक राज्य-स्तरीय विश्लेषणात्मक पहल है।
- रिपोर्ट्स का उद्देश्य ‘विकसित भारत @2047’ के विज़न में सेवा क्षेत्र को एक मुख्य चालक बनाना है।
सेवा क्षेत्र को भारत के आर्थिक और रोजगार आधारित परिवर्तन के केंद्र में स्थापित करने का यह प्रयास न केवल तात्कालिक विकास की राह दिखाता है, बल्कि दीर्घकालिक रणनीतियों के लिए भी एक स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करता है। राज्य सरकारें और उद्योग जगत यदि इन सिफारिशों को अपनाते हैं, तो भारत सेवा आधारित वैश्विक नेतृत्व की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकता है।