सेनेगल में नवाचारी कृषि तीव्रीकरण मॉडल: खाद्य सुरक्षा और भूमि संरक्षण की नई राह

सेनेगल में एक नवीन सतत कृषि तीव्रीकरण (Sustainable Agricultural Intensification – SI) मॉडल के ज़रिए खाद्य सुरक्षा और भूमि संरक्षण को एक साथ साधा जा सकता है। इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट (IFPRI) द्वारा Journal of Cleaner Production में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, फसल चयन में रणनीतिक बदलाव और संसाधनों के बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग से सेनेगल जैसे पश्चिमी अफ्रीकी देशों में खेती की उत्पादकता और पर्यावरणीय संतुलन दोनों को बेहतर बनाया जा सकता है।
भूमि उपयोग में पोर्टफोलियो विश्लेषण का उपयोग
अध्ययन में किसानों के भूमि उपयोग को शेयर बाज़ार की तरह देखा गया है, जहां फसलें “निवेश” होती हैं और प्रत्येक फसल से जुड़े जोखिम और लाभ का मूल्यांकन किया जाता है। शोधकर्ताओं ने पहली बार कृषि क्षेत्र में ऑप्टिमल पोर्टफोलियो अलोकेशन (Optimal Cropland Portfolio Allocation) का उपयोग किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि सीमित संसाधनों से अधिकतम उपज और लाभ कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
इस रणनीति के अनुसार, यदि सेनेगल में फसलों का विवेकपूर्ण और विविधीकरण पर आधारित चयन किया जाए, तो वर्ष 2030 तक भूमि विस्तार की आवश्यकता में 68% तक की कमी लाई जा सकती है।
वर्तमान चुनौतियाँ और संभावनाएँ
सेनेगल की अधिकांश उपजाऊ भूमि वर्षा पर निर्भर करती है और वहां की मिट्टी गरीब और वर्षा अनियमित है, जिससे फसल उत्पादन नाजुक स्थिति में है। सरकार ने सिंचाई विस्तार की पहल की है, लेकिन कुल कृषि भूमि का केवल 5% ही सिंचित है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या ने भूमि विस्तार की दर को पार कर लिया है, जिससे देश को अपनी घरेलू खाद्य मांग का लगभग 70% आयात करना पड़ता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सेनेगल में कृषि भूमि का 95% से अधिक हिस्सा वर्षा आधारित है।
- वर्तमान फसल संरचना कम जोखिम और कम लाभ वाली खाद्यान्न फसलों पर आधारित है।
- अध्ययन के अनुसार, फसलों का विवेकपूर्ण चयन भूमि विस्तार की आवश्यकता को 68% तक कम कर सकता है।
- देश वर्तमान में लगभग 70% खाद्य मांग का आयात करता है।
उच्च मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा देने की सिफारिश
अध्ययन में पाया गया कि यदि किसानों को उच्च मूल्य वाली फसलों — जैसे फल और सब्जियां — को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, तो इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी, बल्कि फसल जैव विविधता, जल संरक्षण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी कमी आएगी। यह रणनीति पारंपरिक खाद्यान्न फसलों की तुलना में सामाजिक और पर्यावरणीय दोनों दृष्टिकोणों से अधिक लाभकारी सिद्ध होती है।
नीति-निर्माताओं के लिए सुझाव
अध्ययन ने नीति-निर्माताओं को सुझाव दिया कि वे कृषि निवेश की योजना बनाते समय केवल उत्पादन नहीं, बल्कि जोखिम, लाभ और विभिन्न क्षेत्रों के आपसी संबंधों को भी ध्यान में रखें। छोटे किसानों को उच्च लाभ वाली फसलों के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें इंफ्रास्ट्रक्चर, ऋण सुविधा और जोखिम न्यूनीकरण जैसी सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
सेनेगल में प्रस्तुत यह मॉडल भारत और अन्य विकासशील देशों के लिए भी एक प्रेरणा हो सकता है, जहां कृषि सुधार की जरूरत के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की भी चुनौती है। यह रणनीति न केवल भूमि के विवेकपूर्ण उपयोग की ओर संकेत करती है, बल्कि सतत और समावेशी कृषि विकास की भी आधारशिला रखती है।