सूर्य की सीमाओं से परे: वॉयजर 1 ने खोजी अंतरिक्ष की ‘आग की दीवार’

मानवता के सबसे दूरस्थ अंतरिक्ष यान वॉयजर 1 ने हाल ही में ऐसी खोज की है जो अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया अध्याय जोड़ती है। प्लूटो से बहुत आगे, लगभग 24 अरब किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस यान ने एक संकीर्ण क्षेत्र में 30,000 से 50,000 केल्विन तक की अत्यधिक गरम प्लाज़्मा परत का पता लगाया है। यह वह सीमा है जहां सूर्य का प्रभाव समाप्त होता है और इंटरस्टेलर अंतरिक्ष शुरू होता है। इस क्षेत्र को “हेलियोपॉज़” कहा जाता है, जहां सौर पवनें इंटरस्टेलर माध्यम से टकराती हैं।

वॉयजर 1 ने कैसे की यह खोज?

वॉयजर 1 का प्लाज़्मा डिटेक्टर वर्षों पहले ही बंद हो चुका था, लेकिन दो अन्य उपकरण अभी भी कार्यरत थे—एक कॉस्मिक किरणों की निगरानी कर रहा था और दूसरा स्थानीय चुंबकीय क्षेत्र को माप रहा था। जब वैज्ञानिकों ने प्लाज़्मा तापमान में अचानक वृद्धि देखी, तब उन्होंने पाया कि यह हेलियोपॉज़ के पास की एक संकीर्ण परत है, जहां सौर और इंटरस्टेलर बलों की टक्कर से अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न हो रही है।

यह गर्मी आती कहां से है?

इस क्षेत्र में कोई पारंपरिक अग्नि नहीं जल रही—यहां ऑक्सीजन नहीं है। लेकिन यह ‘कॉस्मिक ब्लास्ट फर्नेस’ जैसा है, जहां सौर पवन की अत्यधिक वेग वाली कणधाराएं इंटरस्टेलर माध्यम से टकराकर तीव्र चुंबकीय उथल-पुथल पैदा करती हैं। इससे कण अत्यधिक ऊर्जा अवस्था में चले जाते हैं और तापमान आसमान छूने लगता है।

चुंबकीय क्षेत्र की आश्चर्यजनक खोज

इस खोज का सबसे बड़ा आश्चर्य यह था कि हेलियोपॉज़ के बाहर का चुंबकीय क्षेत्र अंदर वाले क्षेत्र के लगभग समांतर पाया गया। इससे पूर्व वैज्ञानिक मानते थे कि सीमा के पार चुंबकीय दिशा पूरी तरह बदल जाएगी। यह खोज यह संकेत देती है कि सूर्य की ‘हेलियोस्फीयर’ आकाशगंगा के चुंबकीय वातावरण से कहीं अधिक गहराई से जुड़ी है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए हमारे दृष्टिकोण में बदलाव आ सकता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • वॉयजर 1 ने 25 अगस्त 2012 को इंटरस्टेलर अंतरिक्ष में प्रवेश किया था।
  • वॉयजर 2 ने 2018 में इसी सीमा को पार किया था।
  • वॉयजर 1 अभी भी केवल 160 बिट प्रति सेकंड की दर से डेटा भेज रहा है।
  • आगामी 2026 में लॉन्च होने वाला IMAP मिशन इस खोज को उच्च संकल्प में देखेगा।

वॉयजर 1 और 2 की ये ऐतिहासिक यात्राएं केवल वैज्ञानिक उत्सुकता नहीं हैं, बल्कि ये भविष्य में मानव अंतरिक्ष मिशनों की दिशा तय कर रही हैं। अंतरिक्ष में अत्यधिक ताप और विकिरण की जानकारी हमें अंतरिक्ष यात्रियों की रक्षा और पृथ्वी के चुंबकीय कवच को बेहतर ढंग से समझने में सहायता करेगी। जब वॉयजर 1 अंततः मौन हो जाएगा, तब भी उसका अंतिम संदेश—सौरमंडल की ज्वलनशील सीमा से—मानवता की अंतरिक्ष अन्वेषण गाथा में अमर रहेगा।

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