सूडान, दक्षिण सूडान और माली: भुखमरी संकट से जूझते अफ्रीकी देश

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने हाल ही में जारी अपनी “Hunger Hotspots: FAO-WFP Early Warning on Acute Food Insecurity (जून–अक्टूबर 2025)” रिपोर्ट में सूडान, दक्षिण सूडान और माली को वैश्विक स्तर पर सबसे गंभीर भूख संकट वाले क्षेत्रों में शामिल किया है। यह रिपोर्ट बताती है कि इन देशों में संघर्ष, आर्थिक अस्थिरता और जलवायु-जनित आपदाएँ व्यापक भुखमरी का प्रमुख कारण हैं।
अफ्रीकी भूख संकट के मुख्य कारण
इन देशों में भुखमरी की स्थिति निरंतर बिगड़ रही है और यदि तत्काल मानवीय सहायता नहीं दी गई, तो लाखों लोगों को भूख और मौत का खतरा बना रहेगा।
- सूडान: 2024 में देश में अकाल घोषित किया गया था। अनुमान है कि मई 2025 तक लगभग 24.6 मिलियन लोग IPC फेज़ 3 या उससे अधिक (गंभीर खाद्य असुरक्षा) की स्थिति में रहेंगे, जिनमें से 6.37 लाख लोग IPC फेज़ 5 (विनाशकारी स्थिति) में होंगे।
- दक्षिण सूडान: बाढ़, राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक समस्याओं के कारण अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच लगभग 7.7 मिलियन लोग IPC फेज़ 3 या उससे ऊपर की स्थिति में होंगे, और लगभग 63,000 लोग अकाल जैसी स्थितियों का सामना कर सकते हैं।
- माली: जून से अगस्त 2025 के बीच माली में लगभग 2,600 लोगों को भूख से मरने का खतरा है, यदि समय पर सहायता नहीं पहुंचाई गई। इसका कारण संघर्ष और अनाज की बढ़ती कीमतें हैं।
अन्य संकटग्रस्त क्षेत्र
रिपोर्ट में फिलिस्तीन, हैती, यमन, नाइजीरिया, म्यांमार, कांगो और सोमालिया जैसे अन्य देशों को भी गंभीर संकट वाले क्षेत्रों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- फिलिस्तीन (गाज़ा): पूरे गाज़ा में 2.1 मिलियन की जनसंख्या गंभीर खाद्य संकट से जूझ रही है, और सितंबर के अंत तक लगभग 5 लाख लोग अकाल के खतरे में होंगे।
- हैती: गिरोह हिंसा के कारण हजारों लोग विस्थापित हुए हैं और 8,400 लोग पहले ही विनाशकारी भूख का सामना कर रहे हैं।
- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य को भी इस बार सूची में दोबारा शामिल किया गया है, जहाँ पूर्वी क्षेत्रों में संघर्ष के कारण भारी विस्थापन और खाद्य संकट की आशंका है।
आशा की किरण
हालाँकि कुछ देशों को संकट की सूची से हटाया गया है:
- इथियोपिया, केन्या, लेबनान, मलावी, मोज़ाम्बिक, नामीबिया, नाइजर, जाम्बिया और ज़िम्बाब्वे जैसे देशों में जलवायु की अनुकूलता और बेहतर फसल उत्पादन के कारण खाद्य संकट में कुछ राहत मिली है।
लेकिन संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी है कि यह सुधार अस्थायी हो सकता है और किसी भी नए व्यवधान से फिर से हालात बिगड़ सकते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- IPC (Integrated Food Security Phase Classification) फेज़ 3 और उससे ऊपर का स्तर गंभीर खाद्य असुरक्षा को दर्शाता है।
- FAO और WFP संयुक्त रूप से विश्व में खाद्य असुरक्षा पर निगरानी रखते हैं और मानवीय सहायता योजनाएं बनाते हैं।
- सूडान और दक्षिण सूडान में जलवायु परिवर्तन के चलते बाढ़ जैसी आपदाएं भुखमरी को बढ़ा रही हैं।
- माली और हैती में सशस्त्र संघर्ष और गिरोह हिंसा खाद्य आपूर्ति को बाधित कर रही हैं।
निष्कर्ष
FAO-WFP की यह रिपोर्ट स्पष्ट संकेत देती है कि यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने शीघ्र और सटीक मानवीय हस्तक्षेप नहीं किया, तो सूडान, दक्षिण सूडान, माली और अन्य संकटग्रस्त क्षेत्रों में जनजीवन पर गहरा संकट मंडरा सकता है। यह केवल राहत कार्य नहीं, बल्कि वैश्विक उत्तरदायित्व है कि इन क्षेत्रों को अकाल और भूख से बचाया जाए।