सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना की यूनिट-2 का व्यावसायिक संचालन शुरू

सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना की यूनिट-2 का व्यावसायिक संचालन शुरू

भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्रीय विद्युत, आवासन और शहरी कार्य मंत्री मनोज लाल ने सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना की 250 मेगावाट क्षमता वाली यूनिट-2 के व्यावसायिक संचालन का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। यह उपलब्धि न केवल स्वच्छ और सतत ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि पूर्वोत्तर भारत के ऊर्जा और विकास परिदृश्य को भी नई मजबूती देती है।

भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना में अहम उपलब्धि

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि यह केवल एक तकनीकी सफलता नहीं है, बल्कि वर्षों की मेहनत, समर्पण और टीमवर्क का परिणाम है। सुबनसिरी परियोजना भारत के नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार, राष्ट्रीय ग्रिड को मजबूत करने और दीर्घकालिक नेट ज़ीरो लक्ष्यों की दिशा में एक प्रतीक के रूप में उभर रही है। इसके साथ ही यह अरुणाचल प्रदेश, असम और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास को गति देने का माध्यम बनेगी।

परियोजना की समयरेखा और आगे की योजना

यूनिट-2 के संचालन में आने के साथ ही परियोजना अब अगले चरण में प्रवेश कर चुकी है। निकट भविष्य में 250 मेगावाट की तीन और इकाइयों के चालू होने की योजना है। शेष चार इकाइयों को 2026–27 के दौरान चरणबद्ध तरीके से कमीशन किया जाएगा। पूरी तरह से चालू होने पर यह परियोजना प्रतिवर्ष 7,422 मिलियन यूनिट स्वच्छ बिजली का उत्पादन करेगी, जिससे भारत की हरित ऊर्जा क्षमता और ग्रिड की स्थिरता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

इंजीनियरिंग विशेषताएं और बाढ़ नियंत्रण की भूमिका

सुबनसिरी लोअर परियोजना को रन-ऑफ-द-रिवर योजना के रूप में विकसित किया गया है, जिसमें सीमित जल भंडारण की व्यवस्था है। इसमें पूर्वोत्तर भारत का सबसे ऊंचा 116 मीटर ऊंचा कंक्रीट ग्रैविटी डैम शामिल है। सुबनसिरी नदी पर यह पहला कैस्केडेड डैम है, जो 442 मिलियन क्यूबिक मीटर की बाढ़ कुशन क्षमता के साथ बाढ़ नियंत्रण में भी अहम भूमिका निभाता है। बाढ़ के समय इसके कुल 1,365 मिलियन क्यूबिक मीटर भंडारण का लगभग एक-तिहाई हिस्सा खाली रखा जाता है, जिससे नीचे के क्षेत्रों को सुरक्षा मिलती है।

सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और एनएचपीसी की भूमिका

एनएचपीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक भूपेंद्र गुप्ता के अनुसार, यह परियोजना क्षेत्र को भरोसेमंद नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्ध कराने के साथ-साथ सतत विकास को भी बढ़ावा देगी। निर्माण के दौरान प्रतिदिन लगभग 7,000 स्थानीय लोगों को रोजगार मिला, जिससे बड़े पैमाने पर आजीविका के अवसर सृजित हुए। परियोजना से 16 लाभार्थी राज्यों को बिजली आपूर्ति होगी, जबकि अरुणाचल प्रदेश और असम को नि:शुल्क बिजली तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र को 1,000 मेगावाट बिजली आवंटित की जाएगी। इसके साथ ही नदी तट संरक्षण, आजीविका कार्यक्रमों और सीएसआर पहलों में भी भारी निवेश किया गया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना 2,000 मेगावाट क्षमता के साथ भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है।
  • यह रन-ऑफ-द-रिवर योजना है, जिसमें 250 मेगावाट की आठ इकाइयां शामिल हैं।
  • इसमें पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा कंक्रीट ग्रैविटी डैम बनाया गया है।
  • यह परियोजना सुबनसिरी नदी बेसिन में बाढ़ नियंत्रण की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

कुल मिलाकर, सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना का यह चरण भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में एक मील का पत्थर है। यह न केवल हरित बिजली उत्पादन को बढ़ाएगा, बल्कि पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को भी नई दिशा प्रदान करेगा।

Originally written on December 24, 2025 and last modified on December 24, 2025.

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