सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: मतदाता सूची में नागरिकता संदेह की जांच कर सकेगा चुनाव आयोग
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि भारत का चुनाव आयोग (EC) किसी व्यक्ति की नागरिकता का अंतिम निर्णय तो नहीं ले सकता, लेकिन मतदाता पंजीकरण के दौरान यदि संदेह हो, तो वह नागरिकता की जांच जरूर कर सकता है। यह फैसला भारतीय चुनाव प्रणाली में नागरिकता की संवैधानिक अनिवार्यता को दोहराता है और यह संदेश देता है कि मतदाता सूची केवल उम्र और निवास प्रमाण पर आधारित नहीं हो सकती।
सीमित अधिकार की दलील को खारिज किया कोर्ट ने
कुछ विपक्षी दलों और नागरिक संगठनों ने तर्क दिया था कि चुनाव आयोग को किसी व्यक्ति की नागरिकता पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है, खासकर जब वह निवास और उम्र के दस्तावेज प्रस्तुत कर दे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह दलील खारिज करते हुए कहा कि यदि ऐसा किया जाए तो यह संविधान के उस प्रावधान को कमजोर कर देगा, जो केवल नागरिकों को ही मतदान का अधिकार देता है।
नागरिकता — केवल औपचारिकता नहीं, संवैधानिक शर्त
मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग की निगरानी की जिम्मेदारी में यह अधिकार शामिल है कि वह संदेह की स्थिति में व्यक्ति की नागरिकता की जांच कर सके। हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया कि आयोग किसी को विदेशी घोषित नहीं कर सकता — यह अधिकार केवल सरकार और निर्धारित न्यायाधिकरणों (Foreigners Tribunals) के पास है।
अवैध प्रवासियों और मतदाता सूची की विश्वसनीयता
न्यायालय ने एक उदाहरण के माध्यम से कहा कि यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से भारत में लंबे समय से रह रहा है, और उसके पास उम्र तथा निवास से संबंधित दस्तावेज तो हैं, परंतु नागरिकता नहीं है, तो उसे मतदाता सूची में जोड़ना संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ होगा। इससे मतदाता सूची की प्रामाणिकता पर प्रश्नचिन्ह लगेगा और संविधानिक सिद्धांतों को ठेस पहुंचेगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में मतदाता पंजीकरण के लिए नागरिक होना संवैधानिक अनिवार्यता है।
- चुनाव आयोग संदेह की स्थिति में नागरिकता की जांच कर सकता है, परंतु अंतिम निर्णय नहीं दे सकता।
- नागरिकता का निर्धारण केवल सरकार और विदेशी न्यायाधिकरणों (Foreigners Tribunals) द्वारा किया जा सकता है।
- केवल निवास और उम्र के दस्तावेज नागरिकता का प्रमाण नहीं हो सकते।
न्यायालय ने संतुलन की जरूरत को भी स्वीकार किया — एक ओर ऐसे कदमों से अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से दूर रखा जाएगा, वहीं दूसरी ओर यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि किसी भी भारतीय नागरिक को गलत तरीके से बाहर न किया जाए। यह निर्णय चुनाव आयोग की जिम्मेदारी और संवैधानिक भूमिका को मजबूत करता है और भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा की दिशा में एक अहम कदम है।