सुदर्शन पटनायक की नई विश्व रिकॉर्ड रचना: पुरी के नीलाद्रि बीच पर सैंड और सेब से बनी विशाल सांताक्लॉज़ प्रतिमा

सुदर्शन पटनायक की नई विश्व रिकॉर्ड रचना: पुरी के नीलाद्रि बीच पर सैंड और सेब से बनी विशाल सांताक्लॉज़ प्रतिमा

भारत के प्रसिद्ध रेत कलाकार पद्मश्री सुदर्शन पटनायक ने इस क्रिसमस पर ओडिशा के पुरी जिले में स्थित नीलाद्रि बीच पर एक अनोखा और विशाल सांताक्लॉज़ का चित्रण कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। “विश्व की सबसे बड़ी सेब और रेत से बनी सांताक्लॉज़ की प्रतिमा” शीर्षक से जानी जाने वाली यह कृति न केवल अपने आकार और रचनात्मकता के लिए चर्चा में रही, बल्कि इसके शांति और सद्भाव के संदेश ने भी दर्शकों का ध्यान खींचा।

पुरी में रिकॉर्ड बनाने वाली क्रिसमस कृति

इस अनोखी कलाकृति को विश्व रिकॉर्ड बुक ऑफ इंडिया द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई है। रचना में लगभग 1.5 टन सेब और रेत का प्रयोग किया गया। इसकी लंबाई लगभग 60 फीट, चौड़ाई 45 फीट और ऊंचाई 22 फीट थी। इसे 26 दिसंबर को जनता के लिए प्रदर्शित किया गया, जो देशभर में क्रिसमस उत्सवों के साथ मेल खाता है।

शांति और सद्भाव का संदेश

सिर्फ भव्यता ही नहीं, इस कृति के माध्यम से सुदर्शन पटनायक ने वैश्विक एकता और सद्भाव का संदेश भी दिया। उन्होंने बताया कि सांताक्लॉज़ का यह स्वरूप समुदायों के बीच भाईचारा और दया का प्रतीक है। सेबों का प्रयोग, न केवल नवाचार को दर्शाता है, बल्कि पुनर्नवीकरण और रचनात्मकता का भी प्रतीक है—जो इस पर्व के “उपहार और साझेदारी” के भाव से मेल खाता है।

जन प्रतिक्रिया और वैश्विक मान्यता

इस कृति को देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और पर्यटक नीलाद्रि बीच पहुंचे। लोगों ने प्रतिमा के साथ तस्वीरें खींची और कलाकार की रचनात्मकता की प्रशंसा की। पटनायक ने सोशल मीडिया पर इस प्रक्रिया के वीडियो साझा किए, जो तेजी से वायरल हुए और इस उपलब्धि को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी ख्याति दिलाई।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • नीलाद्रि बीच, ओडिशा के पुरी जिले में स्थित है।
  • विश्व रिकॉर्ड बुक ऑफ इंडिया राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड को प्रमाणित करती है।
  • सुदर्शन पटनायक को कला के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।
  • भारत में रेत कला का प्रयोग सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों को उजागर करने के लिए किया जाता है।

सुदर्शन पटनायक की रेत कला में विरासत

सुदर्शन पटनायक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन, मानवीय संकट और वैश्विक जागरूकता अभियानों जैसे विषयों पर अपनी बड़ी और सशक्त रेत मूर्तियों के लिए जाने जाते हैं। यह क्रिसमस विशेष सांताक्लॉज़ रचना आकार, नवीनता और भावनात्मक प्रभाव के लिहाज़ से अलग रही।

उनकी यह कृति न केवल भारत की समृद्ध रचनात्मकता का उदाहरण है, बल्कि यह दिखाती है कि कला किस प्रकार समाज में सकारात्मक संदेश और उत्सव की भावना को जन-जन तक पहुंचा सकती है।

Originally written on December 27, 2025 and last modified on December 27, 2025.

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