‘सुदर्शन चक्र’ मिशन: भारत का स्वदेशी आयरन डोम तैयार करने की दिशा में निर्णायक कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर घोषित ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ को लेकर भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पहली बार आधिकारिक टिप्पणी की है। उन्होंने इस मिशन को भारत का ‘आयरन डोम’ या ‘गोल्डन डोम’ बताते हुए इसे देश की रणनीतिक और नागरिक प्रतिष्ठानों की रक्षा के लिए एक मजबूत बहु-स्तरीय सुरक्षा ढांचा करार दिया।
क्या है मिशन सुदर्शन चक्र?
मिशन सुदर्शन चक्र एक व्यापक, बहु-स्तरीय और नेटवर्क आधारित वायु रक्षा प्रणाली है, जिसका उद्देश्य दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और ड्रोन जैसे हवाई खतरों का समय रहते पता लगाना, ट्रैक करना और उन्हें निष्क्रिय करना है। इस प्रणाली में दो प्रकार के उपाय शामिल होंगे:
- सॉफ्ट किल (Soft Kill): इलेक्ट्रॉनिक व साइबर तकनीकों से खतरे को भ्रमित या निष्क्रिय करना।
- हार्ड किल (Hard Kill): मिसाइलों, लेज़र्स या अन्य हथियारों से खतरे को भौतिक रूप से नष्ट करना।
जनरल चौहान ने इसे “ढाल और तलवार दोनों” की भूमिका निभाने वाला सिस्टम बताया।
मिशन की तकनीकी रूपरेखा
CDS ने हाल ही में DRDO द्वारा परीक्षण की गई Integrated Air Defence Weapon System (IADWS) की प्रशंसा की, जिसमें शामिल हैं:
- स्वदेशी Quick Reaction Surface-to-Air Missiles (QRSAM)
- Advanced Very Short Range Air Defence System (VSHORADS)
- 5-किलोवाट लेज़र वेपन
सभी प्रणालियों को एकीकृत कर एक ही प्लेटफॉर्म पर काम करने की क्षमता विकसित की जा रही है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- मिशन सुदर्शन चक्र की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को की थी।
- यह मिशन इज़राइल के ‘Iron Dome’ की तरह एक बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है।
- इसमें AI, डेटा एनालिटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग और बिग डेटा जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
- Integrated Air Defence Weapon System (IADWS) में मिसाइल, लेज़र और शॉर्ट रेंज रक्षा प्रणालियाँ एकीकृत की गई हैं।
राष्ट्रीय एकता और तकनीकी आत्मनिर्भरता की आवश्यकता
जनरल चौहान ने ज़ोर दिया कि इतने बड़े पैमाने के प्रोजेक्ट के लिए “whole-of-nation” यानी पूरे देश का समन्वित प्रयास जरूरी होगा। उन्होंने कहा, “जैसे हर बार, मुझे विश्वास है कि भारत इसे न्यूनतम लागत पर, अधिकतम प्रभाव के साथ पूरा करेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध केवल सैन्य शक्ति से नहीं, बल्कि विचार और रणनीति से भी जीते जाते हैं — जैसा कि महाभारत में अर्जुन और कृष्ण के संवाद में स्पष्ट होता है।
निष्कर्ष
मिशन सुदर्शन चक्र भारत की रक्षा नीति में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह न केवल देश को बाहरी खतरों से सुरक्षित रखने में सहायक होगा, बल्कि ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को ‘शस्त्र-संपन्न, सुरक्षित और आत्मनिर्भर’ राष्ट्र के रूप में परिभाषित करने में भी अहम भूमिका निभाएगा। यह मिशन आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक रक्षा तकनीक में अग्रणी स्थान दिलाने की दिशा में एक ठोस कदम है।