सुगम्य भारत ऐप का नया संस्करण: दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिजिटल समावेशन की दिशा में सशक्त कदम

भारत सरकार द्वारा दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों की पहुंच को सरल और समावेशी बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई सुगम्य भारत ऐप (Sugamya Bharat App – SBA) को हाल ही में एक नए और उपयोगकर्ता-अनुकूल रूप में पुनः डिज़ाइन किया गया है। यह ऐप सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) की प्रमुख पहल है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2021 में हुई थी।
नवीन सुविधाएँ और डिजिटल समावेशन
ऐप के नवीनतम संस्करण में कई अत्याधुनिक सुविधाओं को जोड़ा गया है, जो दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए इसे और अधिक प्रभावी बनाती हैं:
- उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस: ऐप को अधिक सहज और नेविगेशन फ्रेंडली बनाया गया है।
- AI-आधारित चैटबॉट: रियल-टाइम सहायता के लिए एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त चैटबॉट को जोड़ा गया है।
- सरकारी योजनाओं का एकीकृत विवरण: दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित नवीन पहलों, योजनाओं और अधिसूचनाओं की जानकारी एक स्थान पर उपलब्ध है।
- रीयल-टाइम शिकायत ट्रैकिंग: उपयोगकर्ता अपनी शिकायतों की स्थिति को तुरंत ट्रैक कर सकते हैं।
ऐप का प्रभाव और उपयोग
- कुल पंजीकृत उपयोगकर्ता (25 जून 2025 तक): 14,358
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कुल डाउनलोड: 83,791
- Android पर: 82,291
- iOS पर: 1,500
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कुल प्राप्त शिकायतें: 2,705
- सफलतापूर्वक निपटी शिकायतें: 1,897
उपयोगकर्ता ऐप के माध्यम से किसी भी सार्वजनिक स्थान, परिवहन प्रणाली या संचार अवसंरचना में पहुंच बाधाओं की भू-टैग की गई तस्वीरें अपलोड कर सकते हैं, जिससे संबंधित प्राधिकरण त्वरित सुधारात्मक कदम उठा सकें।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सुगम्य भारत ऐप की शुरुआत वर्ष 2021 में की गई थी।
- ऐप का संचालन दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) द्वारा किया जाता है।
- ऐप में AI चैटबॉट, रीयल-टाइम ट्रैकिंग, और एकीकृत सरकारी संसाधन जैसी सुविधाएँ जोड़ी गई हैं।
- अब तक 70% से अधिक शिकायतें सफलतापूर्वक हल की जा चुकी हैं।
समावेशी भारत की ओर
भारत सरकार द्वारा इस ऐप को और अधिक सशक्त एवं सुलभ बनाना डिजिटल समावेशन और एक समावेशी, बाधारहित भारत की दिशा में एक ठोस कदम है। DEPwD आम नागरिकों से आग्रह करता है कि वे इस मंच के माध्यम से सक्रिय भागीदारी करें और देश को सभी के लिए सुलभ बनाने के मिशन में योगदान दें।
यह ऐप न केवल शिकायत निवारण का माध्यम है, बल्कि यह दिव्यांगजनों और बुजुर्गों के अधिकारों और उनके जीवन में गरिमा सुनिश्चित करने का भी प्रतीक है।