सुखमन सिंह ने जीता IGU 124वां एमेच्योर गोल्फ चैंपियनशिप ऑफ इंडिया खिताब
नोएडा के युवा गोल्फर सुखमन सिंह ने कोलकाता के ऐतिहासिक टॉलीगंज क्लब में आयोजित IGU 124वां एमेच्योर गोल्फ चैंपियनशिप ऑफ इंडिया खिताब जीतकर भारतीय एमेच्योर गोल्फ में अपनी चमकदार उपस्थिति दर्ज कराई है। यह प्रतिष्ठित जीत उनके शानदार सीज़न का शानदार समापन है और उन्हें भारत के सबसे प्रतिभाशाली एमेच्योर गोल्फरों में शामिल करती है।
हर्मन सचदेवा के खिलाफ दबदेबाज फाइनल
सुखमन ने फाइनल मुकाबले में हरियाणा के हर्मन सचदेवा को 36-होल मैचप्ले फॉर्मेट में हराया। शुरुआती छह होल तक मुकाबला बराबरी का रहा, लेकिन उसके बाद सुखमन ने जबरदस्त बढ़त बनाते हुए 12वें होल तक 4UP की स्थिति हासिल कर ली और आधे रास्ते पर 2UP की बढ़त बनाए रखी। 29वें होल तक आते-आते वे 7UP की अपराजेय बढ़त के साथ चैंपियन बन गए।
दबाव में बेहतरीन गोल्फ प्रदर्शन
सुखमन सिंह ने पूरे मैच के दौरान बेहतरीन लॉन्ग गेम और सटीक पटिंग का प्रदर्शन किया। हर्मन ने 23वें होल तक अंतर को 3UP तक घटाया, लेकिन सुखमन ने लगातार बर्डीज़ लगाकर 25वें होल तक 6UP की स्थिति में पहुँच गए। उनके सटीक शॉट्स ने टूर्नामेंट डायरेक्टर को 29वें होल पर ही मुकाबला समाप्त करने का निर्णय लेने के लिए विवश कर दिया।
गोल्फ परंपरा और पारिवारिक विरासत
सुखमन सिंह की जीत को विशेष महत्व इस कारण भी मिलता है क्योंकि उनके पिता सिमरजीत सिंह भारत के पूर्व नंबर 1 एमेच्योर गोल्फर रह चुके हैं और कई बार राष्ट्रीय खिताब जीत चुके हैं। IGU द्वारा आयोजित यह चैंपियनशिप 1892 से चली आ रही है और यह दुनिया का सबसे पुराना एमेच्योर मैचप्ले गोल्फ टूर्नामेंट माना जाता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
• एमेच्योर गोल्फ चैंपियनशिप ऑफ इंडिया की शुरुआत 1892 में हुई थी।
• यह दुनिया का सबसे लंबे समय से आयोजित हो रहा एमेच्योर मैचप्ले गोल्फ टूर्नामेंट है।
• 124वां संस्करण कोलकाता के टॉलीगंज क्लब में हुआ।
• इस प्रतियोगिता का आयोजन इंडियन गोल्फ यूनियन (IGU) करता है।
शानदार सत्र और अंतरराष्ट्रीय अनुभव
यह खिताब सुखमन के एक सफल वर्ष को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने IGU राजस्थान एमेच्योर चैंपियनशिप जीती और आंध्र प्रदेश एमेच्योर में उपविजेता रहे। इसके अलावा उन्होंने दक्षिण अफ्रीका एमेच्योर स्ट्रोकप्ले इवेंट में चौथा स्थान भी हासिल किया। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं और राष्ट्रीय कैंपों के नियमित अनुभव ने उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को निखारने में अहम भूमिका निभाई है।
सुखमन सिंह की यह जीत भारतीय गोल्फ के भविष्य के लिए उम्मीद की एक नई किरण के रूप में देखी जा रही है।