सुंदरबन में खारे पानी के मगरमच्छों की संख्या में वृद्धि, संरक्षण प्रयासों को मिला बल

हाल ही में पश्चिम बंगाल के वन विभाग द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार सुंदरबन बायोस्फीयर रिजर्व (SBR) में खारे पानी के मगरमच्छों (साल्टवाटर क्रोकोडाइल्स) की अनुमानित जनसंख्या में पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में इस बढ़ोतरी को विशेष रूप से सकारात्मक संकेत बताया गया है, क्योंकि सुंदरबन जैसे जटिल पर्यावरणीय क्षेत्र में नवजात मगरमच्छों का देखा जाना अत्यंत दुर्लभ होता है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष और जनसंख्या आंकड़े

‘साल्टवाटर क्रोकोडाइल्स की जनसंख्या मूल्यांकन और आवास पारिस्थितिकी अध्ययन 2025’ नामक रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष सुंदरबन क्षेत्र में मगरमच्छों की अनुमानित जनसंख्या 220 से 242 के बीच रही, जिसमें से 213 मगरमच्छों को प्रत्यक्ष रूप से देखा गया। पिछले वर्ष (2024) यह आंकड़ा 204 से 234 के बीच था।
प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर आंकड़ों के अनुसार:

  • वयस्क मगरमच्छ: 125
  • किशोर मगरमच्छ: 88
  • नवजात मगरमच्छ: 23

वहीं 2024 में यह आंकड़े क्रमशः 71, 41 और मात्र 2 थे। यह बढ़ोतरी विशेष रूप से नवजात मगरमच्छों की संख्या में स्पष्ट दिखाई देती है, जो इनकी प्रजनन सफलता का संकेत देती है।

सुंदरबन में मगरमच्छों का आवासीय व्यवहार

रिपोर्ट के अनुसार सुंदरबन के मगरमच्छ मुख्य रूप से संकरे जलमार्गों और 180 मीटर से कम ज्वार चौड़ाई वाले खाड़ियों में अधिक पाए जाते हैं। ये जीव जल की विभिन्न लवणता सहन कर सकते हैं, लेकिन जल में अत्यधिक लवणता की वृद्धि इनके आवास की उपयुक्तता को घटा सकती है, विशेषतः जलवायु परिवर्तन के चलते।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2025 के अध्ययन के दौरान सुंदरबन क्षेत्र की 1168 किलोमीटर की खाड़ियों (जो कुल संरक्षित क्षेत्र का 64% है) में वैज्ञानिक पद्धति, GPS मैपिंग और आवासीय विश्लेषण के माध्यम से सर्वेक्षण किया गया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • खारे पानी के मगरमच्छ (Crocodylus porosus) विश्व के सबसे बड़े सरीसृप और सबसे बड़े मगरमच्छ प्रजाति हैं।
  • भारत में इनकी उपस्थिति मुख्य रूप से ओडिशा, पश्चिम बंगाल और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में है।
  • ये ‘हाइपरकार्निवोरस एपेक्स प्रिडेटर’ माने जाते हैं, जो जल तंत्र को साफ रखने में सहायक होते हैं।
  • सुंदरबन में भगबतपुर मगरमच्छ परियोजना 1976 में शुरू की गई थी, जिसके तहत 2022 तक 577 मगरमच्छों को जंगल में छोड़ा गया।

संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता और भविष्य की दिशा

हालांकि इस वर्ष की रिपोर्ट उत्साहवर्धक है, लेकिन इसमें यह भी चेताया गया है कि सुंदरबन का नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील है। बढ़ती लवणता और तटीय कटाव मगरमच्छों के लिए खतरा बन सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि संरक्षण प्रयासों को और सशक्त किया जाए और स्थायी पारिस्थितिक प्रबंधन को अपनाया जाए।
पश्चिम बंगाल सरकार और वन विभाग के निरंतर प्रयासों के कारण आज सुंदरबन में मगरमच्छों की संख्या में वृद्धि संभव हुई है। यदि यह प्रवृत्ति इसी तरह बनी रही, तो यह न केवल जैव विविधता के लिए, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन के लिए भी एक आशाजनक संकेत है।

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