सियांग अपर बहुउद्देश्यीय परियोजना: रणनीतिक सुरक्षा और जल प्रबंधन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल

अरुणाचल प्रदेश मंत्रिमंडल ने हाल ही में प्रस्तावित सियांग अपर बहुउद्देश्यीय परियोजना (SUMP) की प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट (PFR) को लेकर उठे जनसंवेदनाओं पर गंभीर विचार किया। वर्ष 2008 में इसे भारत सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय परियोजना’ घोषित किया गया था। यह परियोजना न केवल रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके माध्यम से नदी प्रबंधन, पर्यावरणीय संरक्षण और क्षेत्रीय विकास के अनेक लक्ष्य भी साधे जा सकते हैं।

स्थानीय जनसंवेदनाएं और पुनर्वास की योजना

राज्य सरकार ने उन परिवारों के साथ नियमित संवाद की प्रक्रिया प्रारंभ की है जो परियोजना के कारण प्रभावित हो सकते हैं। मंत्रिमंडल ने यह दोहराया कि संभावित रूप से प्रभावित परिवारों को न्यायसंगत मुआवजा, सॉलैटियम और सशक्त पुनर्वास योजना प्रदान की जाएगी, यदि PFR के बाद परियोजना को व्यावहारिक पाया गया। इसके साथ ही यिंगकिओंग और गेगु नामक नए विकास प्राधिकरणों के गठन का निर्णय लिया गया, जो वैकल्पिक शहरों के निर्माण में सहायक होंगे।

जल सुरक्षा और चीन की परियोजना से खतरा

चीन द्वारा यारलुंग त्सांगपो नदी पर 60,000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना शुरू करने से भारत को गंभीर पर्यावरणीय और सुरक्षा संबंधी खतरे का आभास हुआ है। यह नदी भारत में सियांग और फिर असम में ब्रह्मपुत्र के नाम से बहती है। यदि चीन इस परियोजना के अंतर्गत नदी का पानी मोड़ता है तो सियांग और ब्रह्मपुत्र नदी की धाराएँ सूख सकती हैं, जिससे असम और बांग्लादेश में कृषि और जल जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, किसी संकट की स्थिति में पानी छोड़ने से अचानक बाढ़ की आशंका भी बनी रहती है।

भारतीय परियोजना की भूमिका

इस संदर्भ में भारत सरकार ने सियांग अपर बहुउद्देश्यीय परियोजना प्रस्तावित की है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य डाउनस्ट्रीम क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना है। यह परियोजना जल भंडारण करके शुष्क मौसम में नदी प्रवाह को बनाए रखेगी, और बाढ़ की स्थिति में पानी को नियंत्रित रूप से छोड़कर हानि को कम करेगी। विद्युत उत्पादन इस परियोजना का द्वितीयक लाभ होगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सियांग नदी को तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो और असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है।
  • चीन की प्रस्तावित त्सांगपो परियोजना 60,000 मेगावाट की क्षमता की है, जबकि भारतीय परियोजना की क्षमता 11,000 मेगावाट आंकी गई है।
  • अरुणाचल प्रदेश ने 2025-35 को “हाइड्रो पावर दशक” घोषित किया है।
  • अनुमान के अनुसार, 2035 के बाद राज्य को हर वर्ष ₹4,525 करोड़ की आय मुफ्त बिजली की बिक्री से होगी।

सियांग अपर बहुउद्देश्यीय परियोजना, एक ओर जहां राष्ट्रीय जल सुरक्षा नीति का अंग बनकर सामने आती है, वहीं दूसरी ओर यह अरुणाचल प्रदेश जैसे सीमावर्ती राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में निर्णायक कदम साबित हो सकती है। यह परियोजना जल संसाधन, पर्यावरणीय संरक्षण, रोजगार सृजन और राष्ट्रीय सुरक्षा के समेकित लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक दूरदर्शी पहल है।

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