सिक्किम में स्प्रिंगटेल की नई प्रजाति की खोज

सिक्किम में स्प्रिंगटेल की नई प्रजाति की खोज

भारत की जैव विविधता में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में वैज्ञानिकों ने सिक्किम के उच्च हिमालयी क्षेत्र से कोलेम्बोला (स्प्रिंगटेल) की एक नई प्रजाति की खोज की है। यह खोज 1 दिसंबर 2025 को प्रकाशित हुई और इसके साथ ही भारत में पहली बार “नीलस” वंश की उपस्थिति दर्ज की गई है। यह खोज पूर्वी हिमालय को वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट के रूप में और सुदृढ़ करती है।

भारत में नीलस वंश का पहला रिकॉर्ड

नई खोजी गई प्रजाति का नाम Neelus sikkimensis रखा गया है। इस खोज के साथ विश्व स्तर पर नीलस वंश की ज्ञात प्रजातियों की संख्या आठ हो गई है। इससे पहले यह वंश भारत में दर्ज नहीं किया गया था, इसलिए यह खोज देश की मृदा जैव विविधता और वर्गिकी अध्ययनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

अनुसंधान दल और वैज्ञानिक प्रकाशन

यह अध्ययन भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के एप्टेरिगोटा अनुभाग द्वारा किया गया। शोध दल का नेतृत्व गुरुपद मंडल ने किया, जबकि कुसुमेंद्र कुमार सुमन प्रमुख सदस्य रहे। इस शोध को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सहकर्मी-समीक्षित पत्रिका Journal of the Entomological Research Society में प्रकाशित किया गया, जिससे इसकी वैज्ञानिक प्रामाणिकता सिद्ध होती है।

विशिष्ट जैविक विशेषताएं

शोधकर्ताओं के अनुसार Neelus sikkimensis में कई अनूठी अनुकूलन विशेषताएं पाई गई हैं। इसका शरीर अत्यंत सूक्ष्म आकार का है, जो इसे मिट्टी और काई की गहरी परतों में जीवन के लिए उपयुक्त बनाता है। इस प्रजाति में आंखें नहीं होतीं, जो अंधेरे भूमिगत वातावरण में रहने वाले जीवों की सामान्य विशेषता है। सबसे विशिष्ट बात इसकी लैब्रल कीटोटैक्सी है, यानी मुख के पास मौजूद रोमों की संरचना, जो इसे नीलस वंश की अन्य प्रजातियों से स्पष्ट रूप से अलग करती है।

स्प्रिंगटेल का पारिस्थितिक महत्व

कोलेम्बोला या स्प्रिंगटेल मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये जैविक अपघटन और पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण में सहायक होते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की निदेशक धृति बनर्जी ने इस खोज की सराहना करते हुए कहा कि सूक्ष्म आर्थ्रोपोड्स जटिल मृदा खाद्य शृंखलाओं की नींव होते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार यह खोज भारत के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में और अधिक वर्गिकी अध्ययनों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Neelus sikkimensis भारत में नीलस वंश का पहला रिकॉर्ड है।
  • इस प्रजाति की खोज सिक्किम के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र से की गई है।
  • कोलेम्बोला को सामान्यतः स्प्रिंगटेल कहा जाता है।
  • स्प्रिंगटेल मृदा और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के जैव संकेतक माने जाते हैं।

यह खोज न केवल भारत की जैव विविधता को समृद्ध करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सूक्ष्म जीवों का अध्ययन पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन को समझने के लिए कितना आवश्यक है।

Originally written on December 25, 2025 and last modified on December 25, 2025.

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