सावलकोट जलविद्युत परियोजना को मिली पर्यावरणीय मंजूरी: भारत की जल-सुरक्षा नीति को नई दिशा

भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर की चेनाब नदी पर प्रस्तावित 1,856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी देने की सिफारिश की है। यह परियोजना रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, विशेषकर तब जब भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित कर दिया है। सावलकोट परियोजना, जो लगभग चार दशकों से रुकी हुई थी, अब भारत की पश्चिमी नदियों के जल संसाधनों के पूर्ण उपयोग की नीति का प्रमुख हिस्सा बन गई है।
सावलकोट परियोजना: एक बहुआयामी प्रयास
राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (NHPC) द्वारा विकसित की जा रही यह परियोजना रन-ऑफ-द-रिवर मॉडल पर आधारित है, जिसका कुल अनुमानित व्यय ₹31,380 करोड़ है। परियोजना रियासी, रामबन और उधमपुर जिलों में फैली होगी और 1,401.35 हेक्टेयर भूमि को कवर करेगी, जिसमें से 847.17 हेक्टेयर वन क्षेत्र है।
इसमें 192.5 मीटर ऊंचा रोलर-कम्पैक्टेड कंक्रीट डैम और भूमिगत पावरहाउस शामिल होगा, जो प्रतिवर्ष लगभग 7,534 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन करेगा। एक बार चालू होने पर, यह जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा जलविद्युत संयंत्र होगा और उत्तर भारत में ग्रिड स्थिरता और पीकिंग पावर सुनिश्चित करेगा।
सिंधु जल संधि और भारत का अधिकार
1960 की सिंधु जल संधि के तहत, भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का पूर्ण उपयोग मिला था, जबकि पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) पर सीमित अधिकार जैसे जलविद्युत उत्पादन, नौवहन और मत्स्य पालन की अनुमति थी। सावलकोट परियोजना भारत को चेनाब नदी पर जल-प्रवाह के बेहतर नियंत्रण और जलविद्युत उत्पादन के माध्यम से अपने अधिकारों का अधिकतम उपयोग करने में सक्षम बनाएगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- परियोजना की कुल उत्पादन क्षमता 1,856 मेगावाट है, जो जम्मू-कश्मीर की अब तक की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना होगी।
- NHPC की पर्यावरणीय योजना में अब ₹594 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जो पहले ₹392 करोड़ था।
- परियोजना से 13 गांव प्रभावित होंगे और लगभग 1,500 परिवारों का पुनर्वास किया जाएगा।
- सार्वजनिक जनसुनवाइयों में लोगों ने मुफ्त बिजली, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और सड़क संपर्क की मांग रखी।