सारनाथ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने की तैयारी: अब भारत देगा अपने नायकों को असली श्रेय

बौद्ध धर्म के ऐतिहासिक स्थल सारनाथ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने की दिशा में भारत ने बड़ा कदम उठाया है। वाराणसी के पास स्थित इस स्थल को 2025-26 सत्र के लिए औपचारिक रूप से नामांकित किया गया है। इसी क्रम में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) अब स्थल पर लगे मुख्य शिलालेख (plaque) को संशोधित कर स्थानीय ऐतिहासिक योगदान को मान्यता देने की प्रक्रिया में है।

सारनाथ की खोज का श्रेय: ब्रिटिश नहीं, भारतीय शासक परिवार को

वर्तमान शिलालेख में यह उल्लेख है कि 1798 ईस्वी में ब्रिटिश अधिकारी मि. डंकन और कर्नल मैकेंज़ी ने स्थल की पुरातात्विक महत्ता को पहली बार उजागर किया। इसके बाद अलेक्जेंडर कनिंघम, मेजर किट्टो, एफ.ओ. ओर्टल, सर जॉन मार्शल आदि ने उत्खनन कार्य किए।
लेकिन अब बाबू जगत सिंह के वंशजों द्वारा दिए गए प्रस्ताव के आधार पर, ASI इस वर्ष को 1787-88 में संशोधित कर रहा है — जब जगत सिंह ने निर्माण कार्य के लिए खुदाई करवाई थी, जिससे स्थल की ऐतिहासिकता सामने आई थी।

शिलालेख में क्या होगा बदलाव?

  • अब नया शिलालेख बाबू जगत सिंह को श्रेय देगा, जो बनारस के पूर्व शासक चैत सिंह के परिवार से थे।
  • इससे पहले, ASI ने इसी वर्ष धर्मराजिका स्तूप पर लगे शिलालेख को भी संशोधित किया था, जिसमें जगत सिंह को “नाशक” कहा गया था। अब उसे “स्मारक के प्रकाश में आने का श्रेय जगत सिंह को जाता है” के रूप में लिखा गया है।

ASI की ऐतिहासिक स्वीकारोक्ति

ASI के महानिदेशक यदुबीर रावत ने पुष्टि की है कि शिलालेख की जानकारी को नए तथ्यों के अनुसार संशोधित किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि 1861 से पहले, जब ASI की स्थापना हुई, ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा किए गए कार्यों में वैज्ञानिक दस्तावेज़ीकरण का अभाव था। इसलिए आज जब नए तथ्य सामने आते हैं, तो उन्हें ऐतिहासिक रूप से सही करना आवश्यक है।

सारनाथ का ऐतिहासिक महत्व

  • यह वही स्थल है जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, जिसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा जाता है।
  • यहाँ तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 11वीं सदी तक के बौद्ध संरचनाएं हैं।
  • अशोक स्तंभ, जो आज भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है, यहीं स्थित है।
  • धर्मराजिका स्तूप, मूलगंध कुटी विहार, और चौखंडी स्तूप जैसे महत्वपूर्ण स्थल यहाँ देखे जा सकते हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सारनाथ 1998 से यूनेस्को की अस्थायी सूची में है।
  • यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
  • बाबू जगत सिंह ने 1787-88 में स्थल पर खुदाई करवाई थी, जिससे एक बौद्ध अवशेष पात्र (relic casket) प्राप्त हुआ था, जिसका एक भाग कोलकाता की एशियाटिक सोसाइटी के पास है।
  • B.R. मणि जैसे पुरातत्वविदों ने भी 2013-14 में यहां उत्खनन कर बुद्ध और अशोक के बीच की ऐतिहासिक कड़ियों को उजागर किया।

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