सहकारिता विकास के लिए 2000 करोड़ की सहायता योजना को कैबिनेट की मंजूरी

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) को अनुदान सहायता” नामक केंद्रीय क्षेत्र की योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2028-29 तक चार वर्षों में ₹2000 करोड़ की सहायता दी जाएगी, अर्थात प्रति वर्ष ₹500 करोड़। यह कदम देश में सहकारिता क्षेत्र के सशक्तिकरण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।

योजना का उद्देश्य और वित्तीय ढांचा

सरकारी अनुदान ₹2000 करोड़ के आधार पर NCDC खुले बाजार से ₹20,000 करोड़ तक की राशि जुटाने में सक्षम होगा। यह राशि विभिन्न सहकारी संस्थाओं को ऋण के रूप में दी जाएगी, जिससे वे नए प्रोजेक्ट स्थापित कर सकें, संयंत्रों का विस्तार कर सकें, और परिचालन पूंजी की आवश्यकताएं पूरी कर सकें।
यह अनुदान भारत सरकार के बजट समर्थन के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।

लक्षित लाभार्थी और प्रभाव

देशभर की लगभग 13,288 सहकारी समितियों के 2.9 करोड़ सदस्य इस योजना से लाभान्वित होंगे। इसमें डेयरी, पशुपालन, मत्स्य पालन, चीनी, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण, कोल्ड स्टोरेज, श्रमिक और महिला-नेतृत्व वाली सहकारी समितियाँ शामिल हैं।

कार्यान्वयन रणनीति और प्रमुख बिंदु

  • योजना की कार्यान्वयन एजेंसी NCDC होगी जो ऋण वितरण, निगरानी और वसूली की जिम्मेदारी निभाएगी।
  • सहकारी समितियों को या तो राज्य सरकार के माध्यम से या सीधे ऋण प्रदान किया जाएगा।
  • यह सहायता दीर्घकालिक ऋण तथा परिचालन पूंजी दोनों के रूप में दी जाएगी ताकि सहकारिताएं अपनी परियोजनाओं का आधुनिकीकरण, तकनीकी उन्नयन और विविधीकरण कर सकें।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में कुल 8.25 लाख से अधिक सहकारी समितियाँ हैं जिनके 29 करोड़ से अधिक सदस्य हैं।
  • भारत के 94% किसान किसी न किसी रूप में सहकारिता से जुड़े हुए हैं।
  • सहकारिता क्षेत्र कृषि, डेयरी, बैंकिंग, हथकरघा, मत्स्य पालन, आवास आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह योजना महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम करने में भी सहायक होगी।

इस योजना से सहकारी समितियों की उत्पादकता, लाभप्रदता और रोजगार सृजन की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। साथ ही यह पहल ग्रामीण भारत में सहकारिता को आत्मनिर्भरता और समावेशी विकास का केंद्र बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।

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