सर क्रीक विवाद: भारत की चेतावनी और एक पुराने सीमा संघर्ष की पुनरावृत्ति

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा हाल ही में गुजरात के भुज सैन्य अड्डे से पाकिस्तान को दी गई चेतावनी ने एक बार फिर सर क्रीक विवाद को सुर्खियों में ला दिया है। यह चेतावनी उस समय आई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते पहले ही पहलगाम हमलों, ऑपरेशन सिंदूर और एशिया कप क्रिकेट टूर्नामेंट की घटनाओं से तनावपूर्ण हैं। सिंह ने स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान की कोई भी दुस्साहसी कार्रवाई भारत की ऐसी प्रतिक्रिया को जन्म दे सकती है जो “इतिहास और भूगोल दोनों को बदल दे”।
सर क्रीक कहां स्थित है?
सर क्रीक एक 96 किलोमीटर लंबा ज्वारीय जलमार्ग है जो भारत के गुजरात राज्य और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच स्थित है। यह खाड़ी अरब सागर में जाकर मिलती है और रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। पहले इसका नाम ‘बन गंगा’ था, लेकिन ब्रिटिश शासनकाल के दौरान इसे एक अंग्रेज अधिकारी के नाम पर ‘सर क्रीक’ कहा जाने लगा। यह क्षेत्र भारत और पाकिस्तान के बीच समुद्री सीमा निर्धारण, प्राकृतिक संसाधनों के नियंत्रण और सामरिक वर्चस्व को लेकर दशकों से विवाद का केंद्र बना हुआ है।
सर क्रीक विवाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
इस विवाद की जड़ें 1914 की बंबई सरकार की एक रेजोल्यूशन से जुड़ी हैं, जिसने सिंध और कच्छ के बीच सीमा को लेकर समाधान प्रस्तुत किया था। हालांकि, इस दस्तावेज़ में सर क्रीक को स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया गया, जिससे भविष्य में विवाद की नींव पड़ी। भारत का तर्क है कि 1925 के एक संशोधित रेजोल्यूशन में सर क्रीक को कच्छ क्षेत्र का हिस्सा माना गया था, जबकि पाकिस्तान 1914 के दस्तावेज़ का हवाला देते हुए इसे एक प्राकृतिक विभाजन रेखा के रूप में प्रस्तुत करता है।
1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद यह विवाद संयुक्त राष्ट्र ट्रिब्यूनल में गया, जिसने अधिकांश क्षेत्र भारत को सौंप दिया लेकिन सर क्रीक को विवाद से बाहर रखा। इसके बाद भी दोनों देशों में इस पर मतभेद बना रहा, जो समय-समय पर तनाव में बदलता आया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सर क्रीक विवाद विशेष रूप से रण ऑफ कच्छ और अरेबियन सी में EEZ (Exclusive Economic Zone) के नियंत्रण से जुड़ा है।
- 1965 के युद्ध के बाद, भारत और पाकिस्तान ने UN ट्रिब्यूनल के जरिए रण ऑफ कच्छ की सीमा का निर्धारण कराया था, जिसमें भारत के पक्ष को व्यापक मान्यता मिली थी।
- सर क्रीक क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन संसाधनों (तेल व गैस) की संभावना है, जिससे इसका आर्थिक महत्व बढ़ जाता है।
- भारत और पाकिस्तान ने 2007 में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण कर साझा डाटा का आदान-प्रदान किया था, लेकिन आज तक कोई अंतिम समाधान नहीं निकला है।