सरकार ने खरीफ 2025 से पहले एआई आधारित मानसून पूर्वानुमान पायलट शुरू किया

सरकार ने खरीफ 2025 से पहले एआई आधारित मानसून पूर्वानुमान पायलट शुरू किया

भारत सरकार ने खरीफ 2025 सीजन से पहले किसानों के लिए स्थानीय स्तर पर मानसून आगमन की सटीक भविष्यवाणी करने हेतु एक एआई-सक्षम पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य है किसानों को समय रहते मौसम की सही जानकारी देकर बोआई और कृषि योजना में मदद करना। यह प्रोजेक्ट विकास इनोवेशन लैब–इंडिया के सहयोग से किया गया है और इसे बड़े पैमाने पर कृषि योजना को तकनीक से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

एआई मॉडल के जरिए सटीक मानसून पूर्वानुमान

इस पायलट में एक ओपन-सोर्स “ब्लेंडेड एआई मॉडल” का उपयोग किया गया, जिसमें गूगल का NeuralGCM, यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट्स (ECMWF) का एआई फोरकास्टिंग सिस्टम (AIFS) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के 125 वर्षों के वर्षा डेटा को मिलाया गया। इस मिश्रित मॉडल ने स्थानीय स्तर पर मानसून आगमन की संभाव्य भविष्यवाणी (probabilistic forecast) तैयार की, जो किसानों के लिए उचित बोआई तिथि निर्धारित करने में अत्यंत उपयोगी साबित हुई।

एम-किसान पोर्टल के माध्यम से जानकारी का प्रसार

पूर्वानुमान से जुड़ी जानकारी एम-किसान पोर्टल के माध्यम से किसानों को एसएमएस द्वारा भेजी गई। इस पायलट के अंतर्गत 13 राज्यों के 3.88 करोड़ किसानों को उनके क्षेत्र विशेष के पूर्वानुमान संदेश भेजे गए। संदेश पांच भाषाओं हिंदी, उड़िया, मराठी, बंगला और पंजाबी में जारी किए गए ताकि अधिकतम किसानों तक यह सूचना आसानी से पहुंच सके। यह पहल केवल सूचना प्रसारण पर केंद्रित थी, इसमें किसी प्रकार की वित्तीय सहायता शामिल नहीं थी।

किसानों की प्रतिक्रिया और प्रभाव

पूर्वानुमान संदेशों के बाद मध्य प्रदेश और बिहार में किसान कॉल सेंटरों के माध्यम से फीडबैक सर्वे किया गया। रिपोर्ट में पाया गया कि 31% से 52% किसानों ने एआई आधारित पूर्वानुमानों के आधार पर अपनी कृषि रणनीतियों में बदलाव किए। अधिकांश किसानों ने भूमि तैयारी, बीज बोने की समयसीमा, फसल चयन और उर्वरक उपयोग में संशोधन किया। इससे यह स्पष्ट हुआ कि तकनीकी सूचना सीधे तौर पर किसानों के निर्णय और उत्पादकता को प्रभावित कर रही है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • एआई मॉडल में NeuralGCM, ECMWF-AIFS और IMD के 125 वर्षों के वर्षा डेटा का उपयोग हुआ।
  • पूर्वानुमान संदेश 13 राज्यों के 3.88 करोड़ किसानों को भेजे गए।
  • पांच भाषाओं में संदेश जारी हुए: हिंदी, उड़िया, मराठी, बंगला और पंजाबी।
  • 31% से 52% किसानों ने एआई पूर्वानुमान के आधार पर खेती से जुड़े निर्णय बदले।

भारत सरकार के कृषि राज्य मंत्री रमणाथ ठाकुर ने लोकसभा में बताया कि यह पायलट एआई आधारित सलाह प्रणाली की व्यापक संभावनाओं को प्रदर्शित करता है। इससे जलवायु-स्मार्ट कृषि (Climate-Smart Agriculture) को प्रोत्साहन मिलेगा और किसानों को वैज्ञानिक निर्णय लेने में मदद मिलेगी। यह पहल तकनीक और खेती के संगम से भारत के कृषि क्षेत्र को अधिक सशक्त और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकती है।

Originally written on December 3, 2025 and last modified on December 3, 2025.

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