सरकार का जीएसटी सरलीकरण प्रस्ताव: दो स्लैब प्रणाली से आम जनता को राहत

केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) में एक बड़ा सुधार प्रस्तावित किया है, जिसमें मौजूदा चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को समाप्त कर दो मुख्य श्रेणियों—’स्टैंडर्ड’ और ‘मेरिट’—में बदलने की योजना है। इसके साथ ही कुछ चुनिंदा वस्तुओं के लिए विशेष दरें भी निर्धारित की जाएंगी। वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को जीएसटी काउंसिल द्वारा गठित मंत्री समूह (GoM) को भेज दिया है, जो अब इस पर विचार करेगा।

जीएसटी संरचना में आमूलचूल परिवर्तन की दिशा में पहल

इस प्रस्ताव का उद्देश्य न केवल कर प्रणाली को सरल बनाना है, बल्कि यह आम जनता, मध्यम वर्ग, महिलाओं, छात्रों और किसानों के लिए कर राहत लाने की दिशा में भी एक ठोस कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही घोषणा की थी कि दिवाली तक अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार सामने आएंगे, जो आवश्यक और दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर कर बोझ को कम करेंगे।

प्रस्तावित प्रमुख बदलाव

  • दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर कर में कटौती: इससे इन वस्तुओं की उपलब्धता में वृद्धि होगी और आम उपभोक्ताओं के लिए लागत में कमी आएगी।
  • दो-स्लैब प्रणाली: ‘स्टैंडर्ड’ और ‘मेरिट’ श्रेणियों के अंतर्गत वस्तुएं वर्गीकृत होंगी, जिससे कर संरचना और अधिक सरल और पारदर्शी होगी।
  • विशेष दरें केवल सीमित वस्तुओं पर: जिन उत्पादों को सामाजिक या पर्यावरणीय दृष्टिकोण से विशिष्ट माना गया है।
  • क्लासिफिकेशन से जुड़ी उलझनों का समाधान: दरों के वर्गीकरण से जुड़े विवादों को खत्म कर एकरूपता सुनिश्चित की जाएगी।
  • इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर का सुधार: उत्पादन और इनपुट टैक्स के बीच असमानता को दूर कर घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
  • रजिस्ट्रेशन और रिटर्न प्रक्रिया का डिजिटल सरलीकरण: छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए समयबद्ध, तकनीक-सक्षम और पूर्व-भरे हुए रिटर्न सिस्टम लागू होंगे।
  • तेज और स्वचालित रिफंड प्रक्रिया: निर्यातकों और इनवर्टेड ड्यूटी संरचना से प्रभावित करदाताओं के लिए रिफंड में पारदर्शिता और गति आएगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में जीएसटी प्रणाली 1 जुलाई 2017 को लागू हुई थी, जिसने दर्जनों अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत किया।
  • 2024–25 में भारत की सकल जीएसटी संग्रहण ₹22.08 लाख करोड़ पहुंच गई, जो 9.4% की वार्षिक वृद्धि को दर्शाती है।
  • “कंपेंसेशन सेस” की समाप्ति से सरकार को दरें युक्तिसंगत करने की वित्तीय स्वतंत्रता मिली है।
  • जीएसटी परिषद में केंद्र और सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं, जो जीएसटी से जुड़े निर्णय लेते हैं।

इस सरलीकरण से न केवल व्यवसाय जगत को दीर्घकालिक नीति स्थिरता और पूर्वानुमान की सुविधा मिलेगी, बल्कि यह उपभोक्ताओं के लिए भी लागत में राहत और वस्तुओं की उपलब्धता में सुधार लाएगा। यदि मंत्री समूह की सहमति मिलती है, तो यह जीएसटी प्रणाली का अब तक का सबसे बड़ा संरचनात्मक सुधार माना जाएगा, जो ‘सरल कर – सरल कारोबार’ की दिशा में भारत को अग्रसर करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *