समुद्र की गहराई में भारत की ऐतिहासिक छलांग: 5000 मीटर से अधिक की सफल डुबकी

भारत ने समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए 5000 मीटर से अधिक गहराई तक मानवीय अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। 5 और 6 अगस्त 2025 को दो भारतीय एक्वानॉट्स—वरिष्ठ वैज्ञानिक राजू रमेश और सेवानिवृत्त कमांडर जतिंदर पाल सिंह—ने अटलांटिक महासागर में क्रमशः 4025 और 5002 मीटर गहराई तक गोता लगाया। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिसने अब उसे दुनिया के उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल कर दिया है जो इतनी गहराई तक पहुंचने में सफल हुए हैं।

भारत की समुद्री क्षमता का विस्तार

यह अभियान भारत और फ्रांस के समुद्री अनुसंधान संस्थानों के संयुक्त सहयोग से IFREMER के फ्रांसीसी सबमर्सिबल “Nautile” के माध्यम से संपन्न हुआ। इसमें NIOT (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी) की पांच-सदस्यीय टीम ने भाग लिया और सात घंटे तक समुद्र की गहराई में रहकर बहुमूल्य अनुभव और डेटा जुटाया। यह उपलब्धि भारत के महत्वाकांक्षी “समुद्रयान मिशन” का एक पूर्वावलोकन है, जिसका उद्देश्य 2027 तक भारत में विकसित मानव-संचालित पनडुब्बी MATSYA-6000 के माध्यम से 6000 मीटर की गहराई तक जाना है।

अंतरिक्ष और महासागर: भारत की भविष्य की दो धुरी

केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस सफलता को भारत के वैज्ञानिक कौशल और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम बताया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यह उपलब्धि उस ऐतिहासिक क्षण के कुछ सप्ताह बाद आई है जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने सफलतापूर्वक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से यात्रा की। इस प्रकार, भारत ने अंतरिक्ष और महासागर दोनों क्षेत्रों में अपनी पहली मानव उपस्थिति दर्ज की है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत की तटरेखा लगभग 11,098 किलोमीटर लंबी है और इसका विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) विश्व में सबसे बड़ा है।
  • भारत का MATSYA-6000 सबमर्सिबल 6000 मीटर गहराई तक जाने वाला पहला स्वदेशी मानवयुक्त उपकरण होगा।
  • भारत ने इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी से 4000–5500 मीटर की गहराई में खनिज अन्वेषण के लिए अनुबंध प्राप्त किया है।
  • “समुद्रयान मिशन” भारत की प्रमुख डीप ओशन मिशन परियोजना का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2021 में की गई थी।

इस अभियान से जुड़े वैज्ञानिकों ने गहराई में संचार, बायोवेस्ट सुरक्षा, बुआयेंसी नियंत्रण, फ्लैग प्लेसमेंट, नमूना संग्रहण और अन्य तकनीकी प्रक्रियाओं में प्रत्यक्ष प्रशिक्षण प्राप्त किया, जो MATSYA-6000 के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
भारत के इस ऐतिहासिक समुद्री प्रयास ने वैश्विक मंच पर देश की प्रतिष्ठा को और भी मजबूत किया है। आने वाले वर्षों में जब MATSYA-6000 6000 मीटर की गहराई तक गोता लगाएगा, तब भारत तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर और वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरेगा। इस सफलता के साथ, भारत “विकसित भारत” की दिशा में एक और बड़ा कदम उठा चुका है।

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