समुद्री सितारों की व्यापक मृत्यु का रहस्य सुलझा: Vibrio pectenicida बैक्टीरिया जिम्मेदार

2013 में शुरू हुई समुद्री सितारों की एक रहस्यमयी बीमारी ने उत्तरी अमेरिका के प्रशांत तट पर 5 अरब से अधिक समुद्री सितारों को समाप्त कर दिया, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में गहरा संकट उत्पन्न हुआ। अब, दस वर्षों की कड़ी वैज्ञानिक मेहनत के बाद, इस तबाही के पीछे का असली कारण सामने आ गया है। Vibrio pectenicida नामक बैक्टीरिया को इस व्यापक बीमारी का दोषी ठहराया गया है, जिससे समुद्री विज्ञान और संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है।

बीमारी के भयावह लक्षण

इस बीमारी से प्रभावित समुद्री सितारों में पहले सफेद धब्बे दिखाई देते थे, फिर उनके हाथ मरोड़ते हुए गिर जाते थे और कुछ ही दिनों में उनका शरीर पूरी तरह गलकर समाप्त हो जाता था। इस बीमारी ने कम से कम 20 प्रजातियों को प्रभावित किया, लेकिन सबसे अधिक हानि सनफ्लावर सी स्टार (Pycnopodia helianthoides) को हुई, जिसकी आबादी में 90–94% की गिरावट आई और कैलिफोर्निया में तो **99% तक समाप्त हो गई।

शोध में हुआ बड़ा खुलासा

Nature Ecology and Evolution में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि यह बैक्टीरिया बीमार समुद्री सितारों के कोएलोमिक फ्लूड (उनका “रक्त”) में बहुत अधिक मात्रा में मौजूद था, जबकि स्वस्थ जीवों में नहीं। पूर्व के अनेक अध्ययनों में केवल मृत ऊतकों की जांच की गई थी, जिससे यह जानकारी छूट गई थी। यह खोज संक्रमण के मूल कारण तक पहुँचने में निर्णायक साबित हुई।

पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर असर

समुद्री सितारों की समाप्ति के बाद, समुद्री अर्चिन (sea urchins) की संख्या बेतहाशा बढ़ गई, जिन्हें सामान्यतः समुद्री सितारे नियंत्रित करते थे। इन अर्चिनों ने विशाल केल्प वन (kelp forests) को नष्ट कर दिया। विशेष रूप से उत्तरी कैलिफोर्निया में 95% केल्प वन समाप्त हो गए, जिससे मछलियों और अन्य समुद्री जीवों के आवास और भोजन स्रोत खत्म हो गए। इससे व्यावसायिक मत्स्य उद्योग पर भी गहरा असर पड़ा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Sunflower sea star प्रशांत महासागर के तटीय जल में पाया जाता है और 435 मीटर तक की गहराई में भी रहता है।
  • यह एक keystone predator है, जिसकी अनुपस्थिति से पूरा समुद्री पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ सकता है।
  • बीमारी का प्रसार दक्षिण से उत्तर की ओर धीरे-धीरे हुआ, 2013 से 2017 के बीच।
  • Vibrio pectenicida, एक बैक्टीरिया जो पहले शेलफिश को संक्रमित करता था, अब इस बीमारी का कारण पाया गया है।

पुनर्प्राप्ति और संरक्षण की राह

अब जब बीमारी का कारण स्पष्ट हो गया है, तो वैज्ञानिक अब पुनर्स्थापन की दिशा में कदम उठा सकते हैं:

  • स्वस्थ समुद्री सितारों की निगरानी और संरक्षण
  • कैप्टिव ब्रीडिंग (बंद वातावरण में प्रजनन) और पुनःप्रवेश कार्यक्रम।
  • प्राकृतिक प्रतिरोध क्षमता वाले व्यक्तियों की पहचान और प्रोबायोटिक्स या अन्य उपचार के ज़रिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना।
  • जलवायु परिवर्तन की भूमिका पर और गहराई से शोध, क्योंकि गर्म पानी में ऐसे बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं।

समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में समुद्री सितारों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। अब जबकि वैज्ञानिकों ने इस रहस्यमयी महामारी का कारण खोज लिया है, यह न केवल संरक्षण विज्ञान की जीत है, बल्कि भविष्य में ऐसे संकटों से निपटने की हमारी क्षमता को भी मजबूत करता है।

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