समुद्रयान परियोजना में देरी: सिंटैक्टिक फोम की प्रतीक्षा से परीक्षण समयरेखा प्रभावित

समुद्रयान परियोजना में देरी: सिंटैक्टिक फोम की प्रतीक्षा से परीक्षण समयरेखा प्रभावित

भारत की महत्त्वाकांक्षी समुद्रयान परियोजना, जो देश का पहला मानव-सवार गहरे समुद्र में उतरने वाला अभियान है, आवश्यक सिंटैक्टिक फोम घटकों की देर से आपूर्ति के कारण समयरेखा में बदलाव का सामना कर रही है। गहरे समुद्र में संचालन के बाद आवश्यक उछाल प्रदान करने वाला यह फोम फ्रांस में तैयार हो रहा है और इसके बिना अगला महत्वपूर्ण जल-परीक्षण संभव नहीं है। परिणामस्वरूप प्रमुख परीक्षण अब मध्य 2025 तक खिसक गए हैं।

भारत का गहरे समुद्र मिशन और रणनीतिक उद्देश्यों

समुद्रयान को 6,000 मीटर की गहराई तक तीन-सदस्यीय दल को ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे भारत उन कुछ चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा जो इतनी गहराई तक मानव-सवार अनुसंधान करने में सक्षम हैं। यह मिशन ‘डीप ओशन मिशन’ का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसका उद्देश्य समुद्र तल का अध्ययन करना और अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में धातुओं के खनन की संभावनाओं का मूल्यांकन करना है। पनडुब्बी का टाइटेनियम गोला अत्यधिक दाब को सहने के लिए तैयार किया गया है और इससे समुद्र तल से मिट्टी व चट्टानों के वैज्ञानिक नमूने एकत्र किए जा सकेंगे।

परीक्षण चरण और स्टील सिम्युलेटर की भूमिका

अंतिम समुद्र-गोता लगाने से पहले राष्ट्रीय समुद्री प्रौद्योगिकी संस्थान ने एक स्टील प्रतिकृति तैयार की है, जो परीक्षण सिम्युलेटर के रूप में कार्य करती है। यह मॉडल 100 मीटर गहराई तक के परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है। अगला चरण 500 मीटर तक का परीक्षण था, जिसे दिसंबर 2024 में किया जाना था, लेकिन उपकरणों की अनुपलब्धता के कारण इसे स्थगित कर दिया गया है। यह आगामी परीक्षण अनिवार्य है, क्योंकि इसी के बाद वास्तविक टाइटेनियम संरचना का दाब परीक्षण और प्रमाणन संभव होगा।

सिंटैक्टिक फोम: उछाल क्षमता का आधार

पूरी परियोजना में देरी का मुख्य कारण सिंटैक्टिक फोम की देर से डिलीवरी है। यह फोम फ्रांस में तैयार किया जा रहा है और वर्तमान में नॉर्वे में परीक्षणाधीन है। गहराई से ऊपर आने पर पनडुब्बी को उछाल प्रदान करने में यह सामग्री अत्यधिक महत्वपूर्ण है। प्रमाणन पूरा होते ही इसे स्टील सिम्युलेटर और अंतिम टाइटेनियम गोले दोनों पर स्थापित किया जाएगा। अधिकारियों को इसके वर्ष के अंत तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे अप्रैल 2025 में 500 मीटर का परीक्षण संभव हो सकेगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • समुद्रयान 6,000 मीटर की गहराई तक तीन-सदस्यीय दल को ले जाने का लक्ष्य रखता है।
  • उछाल प्रदान करने वाला सिंटैक्टिक फोम फ्रांस से प्राप्त किया जा रहा है।
  • टाइटेनियम संरचना का दाब परीक्षण रूस में किया जाएगा।
  • इसरो मिशन के लिए दो टाइटेनियम गोले तैयार कर रहा है।

अगले कदम और भारत का वैज्ञानिक विस्तार

स्टील सिम्युलेटर के गहरे पानी में परीक्षण पूरे होने के बाद टाइटेनियम संरचना को रूस में दाब परीक्षण के लिए भेजा जाएगा, जिससे इसकी मजबूती का सत्यापन हो सके। उसके बाद अंतिम असेंबली तैयार की जाएगी और निर्धारित 500 मीटर की गोता-परीक्षा की जाएगी। इन प्रगतियों को पंचकूला में 6 से 9 दिसंबर तक आयोजित होने वाले भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के दौरान साझा किया गया, जहाँ समुद्रयान मिशन युवाओं में वैज्ञानिक जिज्ञासा बढ़ाने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।
समुद्रयान परियोजना, देरी के बावजूद, भारत की गहरे समुद्र अनुसंधान क्षमताओं को नई दिशा देने वाली एक महत्वपूर्ण पहल बनी हुई है और इसके सफल होने से देश समुद्री विज्ञान तथा खनिज अन्वेषण के वैश्विक मंच पर मजबूत उपस्थिति दर्ज करेगा।

Originally written on December 1, 2025 and last modified on December 1, 2025.

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