सतत विकास लक्ष्य-3 में भारत की उल्लेखनीय प्रगति: स्वास्थ्य संकेतकों में मजबूती, लेकिन पोषण और एनसीडी पर चुनौतियाँ कायम

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) 3 — “सभी उम्र के लोगों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और भलाई को बढ़ावा देना” — की दिशा में भारत ने हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। मातृ और बाल मृत्यु दर में कमी, टीकाकरण में वृद्धि और बीमारियों की रोकथाम जैसे क्षेत्रों में भारत कई लक्ष्यों की ओर अग्रसर है।
मानव विकास रिपोर्ट 2025: भारत की स्वास्थ्य प्रगति पर दृष्टिकोण
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की मानव विकास रिपोर्ट 2025 के अनुसार, 1990 के बाद से भारत का मानव विकास सूचकांक (HDI) 53% से अधिक बढ़ा है, जो वैश्विक और दक्षिण एशियाई औसत से तेज़ है। 2023 में भारत की औसत जीवन प्रत्याशा 72 वर्ष तक पहुँच गई — यह अब तक की सर्वोच्च दर है। यह उपलब्धि महामारी से उबरने और योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत व राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के प्रभाव को दर्शाती है।
नीति आयोग रिपोर्ट: भारत का SDG 3 स्कोर 77 पर
2018 में SDG 3 स्कोर जहाँ 52 था, वह 2023 में बढ़कर 77 हो गया। कई राज्यों को अब “फ्रंट-रनर” श्रेणी में रखा गया है:
- मातृ मृत्यु दर: घटकर 97 प्रति 1 लाख जीवित जन्म हो गई; 8 राज्यों ने 2030 का लक्ष्य (70) पहले ही हासिल कर लिया है।
- पाँच वर्ष से कम आयु की मृत्यु दर: 32 प्रति 1,000 जीवित जन्म; केरल में मात्र 8।
- टीकाकरण कवरेज (9-11 माह): 93.23% तक पहुँच गया; कई राज्यों में 100% से अधिक।
- HIV संक्रमण दर: 0.05 प्रति 1,000 संक्रमित; केरल में मात्र 0.01।
- टीबी मामलों की अधिसूचना: 87.13%; गुजरात और दिल्ली जैसे क्षेत्र राष्ट्रीय औसत से आगे।
- संस्थागत प्रसव दर: 97.18%; लक्षद्वीप ने 100% प्राप्त किया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- NFHS (2019–21) के अनुसार, 67% पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे और 57% महिलाएँ (15–49 वर्ष) एनीमिक हैं।
- भारत में 35% बच्चे स्टंटेड और 19% वेस्टेड हैं — यानी उनका पोषण स्तर गंभीर रूप से प्रभावित है।
- गैर-संक्रामक रोग (NCDs) जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर भारत में 2019 में 60% से अधिक मौतों के लिए ज़िम्मेदार थे।
भविष्य की दिशा: क्या करना ज़रूरी है?
विशेषज्ञों के अनुसार, 2030 तक SDG 3 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनानी होंगी:
- अंतिम छोर तक स्वास्थ्य सेवा पहुँचाना
- गैर-संक्रामक रोगों की स्क्रीनिंग और इलाज को मजबूत करना
- बच्चों और महिलाओं में पोषण अंतर को कम करना
- मानसिक स्वास्थ्य और दुर्घटना देखभाल में निवेश बढ़ाना
- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पर वित्तीय व्यय बढ़ाना
भारत ने जहाँ एक ओर जीवन प्रत्याशा और मातृ स्वास्थ्य के क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता पाई है, वहीं कुपोषण और एनसीडी जैसे गंभीर मुद्दों पर ठोस नीति और क्रियान्वयन की अभी भी ज़रूरत है। 2030 के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए समावेशी और संतुलित स्वास्थ्य सुधार आवश्यक हैं।