सतकोसिया टाइगर रिजर्व पुनर्वास विवाद: OHRC ने मांगी विस्तृत रिपोर्ट

सतकोसिया टाइगर रिजर्व पुनर्वास विवाद: OHRC ने मांगी विस्तृत रिपोर्ट

सतकोसिया टाइगर रिजर्व में गांवों के पुनर्वास को लेकर उठे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। ओडिशा मानवाधिकार आयोग (OHRC) ने वन विभाग, राजस्व विभाग और अंगुल जिला कलेक्टर से इस संबंध में सभी अभिलेख प्रस्तुत करने को कहा है। यह निर्देश एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें वन अधिकारियों पर पुनर्वास प्रक्रिया में अनियमितताओं और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की दिशा-निर्देशों तथा राज्य सरकार की राहत एवं पुनर्वास (R&R) नीति के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।

ग्रामसभा और वनाधिकारों की वैधता पर सवाल

आयोग ने स्पष्ट रूप से यह जानना चाहा है कि क्या पुनर्वास से पूर्व संबंधित गांवों में ग्रामसभा का आयोजन किया गया था, क्योंकि यह Forest Rights Act, 2006 के तहत अनिवार्य शर्त है। साथ ही यह भी पूछा गया कि क्या पुनर्वास से पहले वनवासियों के वनाधिकार तय किए गए थे, क्योंकि यही आधार उचित मुआवजे और अधिकार संरक्षण के लिए आवश्यक है।

कथित अनियमितताएँ और मुआवजा विवाद

याचिका में आरोप लगाया गया है कि पात्र व्यक्तियों को मुआवजा नहीं दिया गया, जबकि अपात्रों को लाभ पहुंचाया गया। इतना ही नहीं, कई ऐसे ग्रामीणों के हस्ताक्षर भी फर्जी तरीके से लिए गए जो वैकल्पिक पुनर्वास के लिए सहमत नहीं थे। यह भी दावा किया गया है कि वन एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से यह सब हुआ है।

अधिकारियों की पेशी और उनका पक्ष

सुनवाई में PCCF (वन्यजीव) प्रेम कुमार झा, मुख्य वन संरक्षक बिकाश रंजन दाश, अंगुल RCCF संजय स्वैन, सतकोसिया के पूर्व DFO सरोज कुमार पांडा (वर्तमान में बड़गढ़ DFO) और अंगुल तहसीलदार आलोक कुमार देहुरी उपस्थित हुए। PCCF ने कहा कि “संपूर्ण पुनर्वास प्रक्रिया स्वैच्छिक है और लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं”, वहीं RCCF ने कहा कि “किसी प्रकार की कोई गैरकानूनी गतिविधि नहीं हुई है।”

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • OHRC ने सतकोसिया टाइगर रिजर्व में पुनर्वास प्रक्रिया की जांच के लिए सभी रिकॉर्ड तलब किए हैं।
  • Forest Rights Act, 2006 के तहत ग्रामसभा और वनाधिकार की पुष्टि अनिवार्य है।
  • आरोप: पात्रों को मुआवजा नहीं, अपात्रों को लाभ; ग्रामसभा की सहमति के बिना पुनर्वास।
  • मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को निर्धारित है।

आयोग की सख्ती और आगामी दिशा

OHRC ने संबंधित अधिकारियों से यह भी जानकारी मांगी है कि:

  • क्या राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत समुचित मुआवजे की नीति बनाई है?
  • क्या कट-ऑफ तिथि अधिसूचित की गई है और क्या इसके अनुसार लाभ वितरित हुए हैं?
  • किन परिवारों को कितनी राशि दी गई, इसकी पूरी सूची।
  • फर्जी हस्ताक्षरों की जांच रिपोर्ट के बाद क्या कार्रवाई की गई?

आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि मांगे गए रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किए गए, तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा।
सतकोसिया में पुनर्वास की यह प्रक्रिया जहां एक ओर बाघों की वापसी का मार्ग प्रशस्त कर सकती है, वहीं मानवाधिकारों और कानून के पालन के बिना यह योजना विवादों में घिर सकती है। आयोग की अगली सुनवाई अब इस मुद्दे की दिशा तय करेगी।

Originally written on October 30, 2025 and last modified on October 30, 2025.

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