सऊदी अरब बना अमेरिका का प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी
संयुक्त राज्य अमेरिका ने सऊदी अरब के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को एक नए स्तर पर पहुंचाते हुए उसे “प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी” (Major Non-NATO Ally) का दर्जा प्रदान किया है। यह घोषणा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान की गई, जहाँ दोनों देशों के बीच रक्षा और परमाणु सहयोग से जुड़े कई महत्वपूर्ण समझौते हुए।
द्विपक्षीय संबंधों में रणनीतिक उन्नयन
इस नए दर्जे के साथ सऊदी अरब उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है जिन्हें अमेरिकी सैन्य सहयोग और सुरक्षा सुविधाओं तक विशेष पहुंच प्राप्त होती है। यद्यपि यह कोई रक्षा संधि नहीं है, फिर भी यह दर्जा दोनों देशों के बीच रक्षा प्रौद्योगिकी, सैन्य प्रशिक्षण और दीर्घकालिक रणनीतिक समन्वय के लिए नए अवसर खोलता है। इससे मध्य पूर्व में अमेरिका-सऊदी साझेदारी और भी मजबूत होने की संभावना है।
उन्नत रक्षा सौदे और एफ-35 विमानों की मंजूरी
बैठक के दौरान कई अहम रक्षा सौदे औपचारिक रूप से तय किए गए। अमेरिका ने सऊदी अरब को भविष्य में एफ-35 स्टेल्थ लड़ाकू विमानों की बिक्री के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। यह निर्णय क्षेत्रीय वायु शक्ति संतुलन में बड़ा परिवर्तन ला सकता है। इसके अलावा, एक “स्ट्रैटेजिक डिफेंस एग्रीमेंट” (Strategic Defense Agreement) पर भी हस्ताक्षर हुए, जिसका उद्देश्य मध्य पूर्व में सुरक्षा और निवारक क्षमता को मजबूत करना है। हालांकि यह समझौता पूर्ण रक्षा संधि नहीं है, फिर भी यह दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को व्यापक रूप में विस्तार देता है।
नागरिक परमाणु सहयोग और आर्थिक प्रतिबद्धताएँ
इस यात्रा का एक और प्रमुख पहलू नागरिक परमाणु ऊर्जा सहयोग से जुड़ा रहा। दोनों देशों ने एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए जो दीर्घकालिक परमाणु साझेदारी के लिए आधार तैयार करता है। यह सहयोग परमाणु अप्रसार (Non-Proliferation) के अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत होगा और सऊदी अरब की परमाणु ऊर्जा विकसित करने की योजनाओं को समर्थन देगा।साथ ही, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका में सऊदी निवेश बढ़ाने का भी वादा किया, जिससे रक्षा के साथ-साथ आर्थिक संबंधों को भी नई गति मिलेगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सऊदी अरब को अमेरिका द्वारा “प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी” का दर्जा दिया गया है।
- अमेरिका ने सऊदी अरब को एफ-35 लड़ाकू विमानों की बिक्री को मंजूरी दी है।
- दोनों देशों ने “स्ट्रैटेजिक डिफेंस एग्रीमेंट” पर हस्ताक्षर किए हैं।
- नागरिक परमाणु ऊर्जा सहयोग के लिए दीर्घकालिक समझौते की नींव रखी गई है।
क्षेत्रीय प्रभाव और कूटनीतिक महत्व
अमेरिका-सऊदी साझेदारी का यह उन्नत चरण संकेत देता है कि वॉशिंगटन, रियाद के साथ अपने संबंधों को और गहराई तक ले जाना चाहता है, भले ही पहले के वर्षों में दोनों देशों के बीच कुछ तनाव रहे हों। रक्षा, परमाणु ऊर्जा और निवेश के क्षेत्र में हुए ये समझौते न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देते हैं, बल्कि मध्य पूर्व में सामरिक संतुलन और कूटनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकते हैं।