सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रक्षा संधि: बदलते पश्चिम एशिया में नई ध्रुवीकरण की शुरुआत

सऊदी अरब और पाकिस्तान ने हाल ही में एक आपसी रक्षा संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे दशकों से चली आ रही सैन्य साझेदारी को औपचारिक रूप मिल गया है। यह समझौता न केवल दोनों देशों के रणनीतिक हितों को जोड़ता है, बल्कि पश्चिम एशिया में बदलते भू-राजनीतिक संतुलन की भी ओर इशारा करता है।

संधि की प्रमुख शर्तें और मंशा

रियाद और इस्लामाबाद द्वारा जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि “किसी एक देश पर कोई भी हमला, दोनों देशों पर हमला माना जाएगा”। इसका अर्थ है कि यह संधि एक सामूहिक रक्षा समझौते का रूप लेती है, जिसमें दोनों देश एक-दूसरे की रक्षा के लिए बाध्य होंगे।
इसके तहत एक स्थायी संयुक्त सैन्य समिति, खुफिया साझाकरण व्यवस्था और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार किया जाएगा। हालांकि पाकिस्तान पहले से ही सऊदी अरब में सैन्य कर्मियों की तैनाती करता रहा है, यह समझौता उस अनौपचारिक संबंध को औपचारिक बना देता है।

यह समझौता अभी क्यों हुआ?

इस समझौते का समय बेहद महत्वपूर्ण है। यह ऐसे समय में सामने आया है जब इजराइल ने कतर पर बमबारी की है — एक ऐसा देश जहां अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा अल-उदैद स्थित है। इस हमले पर अमेरिका की निष्क्रियता ने सऊदी अरब को यह एहसास कराया कि अब केवल अमेरिकी सुरक्षा आश्वासनों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता।
गाजा युद्ध और यमन के हूथी विद्रोहियों की बढ़ती सैन्य शक्ति ने भी क्षेत्र की अस्थिरता को बढ़ाया है। अमेरिका की रणनीतिक प्राथमिकता अब एशिया-प्रशांत क्षेत्र की ओर स्थानांतरित हो रही है, जिससे सऊदी अरब को वैकल्पिक सुरक्षा साझेदारों की तलाश करनी पड़ी।

पाकिस्तान की भूमिका और लाभ

पाकिस्तान के लिए यह समझौता आर्थिक और रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। विदेशी मुद्रा संकट से जूझते पाकिस्तान के लिए सऊदी सहायता जीवनरेखा जैसी है। वहीं, इसकी सैन्य शक्ति और मुस्लिम बहुल जनसंख्या इसे सऊदी अरब के लिए एक स्वाभाविक रक्षा साझेदार बनाती है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के अनुसार, यदि आवश्यक हुआ तो सऊदी अरब पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं का लाभ भी उठा सकता है। हालांकि यह औपचारिक रूप से संधि में नहीं है, लेकिन इसकी प्रतीकात्मकता अत्यधिक शक्तिशाली है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • अल-उदैद एयरबेस: कतर में स्थित यह अमेरिका का सबसे बड़ा पश्चिम एशियाई सैन्य अड्डा है।
  • हूथी विद्रोही: यमन आधारित ईरान समर्थित समूह, जिन्होंने सऊदी अरब पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं।
  • अब्राहम समझौते: अमेरिका की मध्यस्थता से इजराइल और अरब देशों के बीच सामान्यीकरण की एक पहल, जो गाजा युद्ध के बाद ठप पड़ी हुई है।
  • स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी: कई पश्चिम एशियाई देश अब अमेरिका पर निर्भरता घटाकर बहुपक्षीय सुरक्षा साझेदारियों की ओर बढ़ रहे हैं।

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