संसदीय पैनल ने चीन के साथ जल समझौते के लिए सिफारिश की

संसदीय पैनल ने चीन के साथ जल समझौते के लिए सिफारिश की

संसदीय पैनल ने लोकसभा के समक्ष अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत की चीन के साथ कोई जल संधि नहीं है। हालांकि, दोनों देशों ने ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदियों पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।

मुख्य बिंदु

  • ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदियों पर समझौता ज्ञापन पांच साल के लिए लागू रहेगा। इन समझौता ज्ञापनों का नियमित रूप से नवीनीकरण किया जाता है।
  • इस पैनल के अनुसार बाढ़ के मौसम, आपातकालीन प्रबंधन और सीमा पार नदियों से संबंधित अन्य मुद्दों में चीन द्वारा हाइड्रोलॉजिकल डेटा के प्रावधान के संबंध में सहयोग सुनिश्चित करने के लिए भारत और चीन के बीच विशेषज्ञ स्तर तंत्र (Expert Level Mechanism) भी मौजूद है।
  • इस पैनल ने भुगतान के आधार पर चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदी के हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करने पर संतोष व्यक्त किया है।  2017 में दोनों देशों के बीच 73 दिनों के डोकलाम गतिरोध के बीच कोई डेटा प्रदान नहीं किया गया था।
  • इस पैनल ने चीन द्वारा रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाओं के बारे में अपनी आशंका व्यक्त की क्योंकि इस तरह की परियोजनाओं से पानी का डायवर्जन नहीं हो सकता है, लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि पानी को संग्रहित किया जा सकता है और टर्बाइन चलाने के लिए छोड़ा जा सकता है। इसके कारण  डाउनस्ट्रीम प्रवाह में दैनिक भिन्नता पैदा हो सकती है, जिससे ब्रह्मपुत्र नदी में जल प्रवाह प्रभावित हो सकता है।
  • नतीजतन, समिति ने भारत को यह सुनिश्चित करने के लिए चीनी कार्यों की लगातार निगरानी करने की सिफारिश की है कि वे ब्रह्मपुत्र नदी पर कोई बड़ा हस्तक्षेप नहीं करते हैं।

पृष्ठभूमि

विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (Tibet Autonomous Region) में ब्रह्मपुत्र नदी की मुख्य धारा पर चीनी अधिकारियों द्वारा तीन जलविद्युत परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा, चीनी अधिकारियों ने अक्टूबर 2015 में जांगमु में एक जलविद्युत परियोजना को चालू करने की घोषणा की।

Originally written on August 7, 2021 and last modified on August 7, 2021.

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