संविधान (131वां संशोधन) विधेयक 2025 पर विवाद: चंडीगढ़ के प्रशासन को लेकर नई बहस
केंद्र सरकार द्वारा संविधान (131वां संशोधन) विधेयक, 2025 संसद में पेश करने की योजना ने पंजाब और पूरे संघ शासित क्षेत्रीय ढांचे में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। यह प्रस्ताव चंडीगढ़ के प्रशासनिक दर्जे और उसे उन संघ शासित प्रदेशों की श्रेणी में लाने से जुड़ा है, जिनके पास अपनी विधानसभाएँ नहीं हैं।
संशोधन का उद्देश्य और संवैधानिक संदर्भ
इस विधेयक का उद्देश्य चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के तहत शामिल करना है। अनुच्छेद 240 के अंतर्गत राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त है कि वे ऐसे संघ शासित प्रदेशों के लिए विनियम (Regulations) जारी कर सकें, जिनके पास अपनी विधायिका नहीं है।अगर यह संशोधन पारित होता है, तो चंडीगढ़ को लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली तथा दमण और दीव, पुदुचेरी (विशेष परिस्थितियों में) और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह जैसे क्षेत्रों के समान प्रशासनिक ढांचा प्राप्त होगा।
चंडीगढ़ की शासन व्यवस्था में संभावित बदलाव
संशोधन के लागू होने पर राष्ट्रपति को सीधे चंडीगढ़ के लिए नियम और विनियम बनाने का अधिकार मिल जाएगा। इससे प्रशासनिक प्रक्रियाएँ अधिक केंद्रीकृत और सुव्यवस्थित होंगी।वर्तमान में पंजाब के राज्यपाल को चंडीगढ़ के प्रशासक के रूप में भी नियुक्त किया गया है। इस संशोधन के बाद एक स्वतंत्र प्रशासकीय व्यवस्था की संभावना बढ़ सकती है, जिससे पंजाब और हरियाणा दोनों के साथ चंडीगढ़ के संबंधों पर प्रभाव पड़ सकता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और क्षेत्रीय आपत्तियाँ
इस प्रस्ताव का पंजाब की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि यह कदम पंजाब के ऐतिहासिक और राजनीतिक अधिकारों को कमजोर कर सकता है, क्योंकि चंडीगढ़ 1966 से पंजाब और हरियाणा दोनों की साझा राजधानी है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अनुच्छेद 240 के तहत चंडीगढ़ को लाने से संघीय ढांचे में शक्ति-संतुलन प्रभावित हो सकता है और पंजाब की “साझा राजधानी” की स्थिति पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अनुच्छेद 240 राष्ट्रपति को संघ शासित प्रदेशों के लिए विनियम जारी करने की शक्ति देता है।
- संविधान (131वां संशोधन) विधेयक, 2025 का उद्देश्य चंडीगढ़ को इस अनुच्छेद की सूची में शामिल करना है।
- चंडीगढ़ वर्तमान में पंजाब और हरियाणा की साझा राजधानी है।
- केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस संशोधन से चंडीगढ़ की मौजूदा प्रशासनिक व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने विरोध के बीच यह स्पष्ट किया है कि इस विधेयक का उद्देश्य केवल प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाना है, न कि पंजाब या हरियाणा के अधिकारों में कोई कटौती करना। सरकार का कहना है कि यह संशोधन केवल कानूनी स्पष्टता और शासन की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लाया जा रहा है। फिर भी, इस प्रस्ताव ने एक बार फिर चंडीगढ़ की संवैधानिक स्थिति को लेकर पुरानी बहस को जीवंत कर दिया है।