संयुक्त राष्ट्र सभ्यताओं के गठबंधन मंच में भारत का संदेश: वसुधैव कुटुम्बकम और सह-अस्तित्व का संकल्प
संयुक्त राष्ट्र सभ्यताओं के गठबंधन (UNAOC) के 11वें मंच में भारत ने वैश्विक सद्भाव, समावेश और संवाद पर आधारित अपने मूल्यों को दोहराया। यह सम्मेलन 14-15 दिसंबर 2025 को रियाद, सऊदी अरब में आयोजित हुआ, जहाँ भारत ने सांस्कृतिक विविधता और बहुधर्मीय सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
उच्च स्तरीय बैठक में भारतीय भागीदारी
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) पी. कुमारन ने किया। उन्होंने UNAOC के फ्रेंड्स ग्रुप की उच्च स्तरीय बैठक में भारत का वक्तव्य प्रस्तुत किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत सदैव ऐसे बहुपक्षीय मंचों का समर्थन करता है, जो अंतर-सांस्कृतिक और अंतर-धार्मिक समझ को बढ़ावा देते हैं।
सभ्यतागत मूल्यों पर बल
कुमारन ने भारत की सभ्यतागत परंपरा की चर्चा करते हुए बताया कि भारत की संस्कृति विविधता में एकता और सह-अस्तित्व की भावना से ओतप्रोत है। उन्होंने विशेष रूप से दो सिद्धांतों का उल्लेख किया:
- वसुधैव कुटुम्बकम — “संपूर्ण विश्व एक परिवार है”
- सर्व धर्म समभाव — “सभी धर्मों के प्रति समान आदर”
इन मूल्यों ने भारत की घरेलू नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को हमेशा मार्गदर्शन दिया है।
वैश्विक सद्भाव के लिए संवाद और सहयोग
भारत ने इस मंच पर संवाद की निरंतरता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को अत्यावश्यक बताया ताकि ध्रुवीकरण और असहिष्णुता का मुकाबला किया जा सके। भारतीय वक्तव्य में यह आग्रह किया गया कि राष्ट्रों, समुदायों और आस्थाओं के बीच आपसी सम्मान और समझ को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- UNAOC का पूर्ण रूप है: United Nations Alliance of Civilizations
- 11वां UNAOC मंच 14–15 दिसंबर 2025 को रियाद, सऊदी अरब में आयोजित हुआ।
- भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम और सर्व धर्म समभाव जैसे सिद्धांतों पर बल दिया।
- भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व MEA सचिव (पूर्व) पी. कुमारन ने किया।
रियाद फोरम का वैश्विक महत्व
यह मंच दुनिया के राजनीतिक नेताओं, धार्मिक प्रमुखों, सिविल सोसाइटी, युवा प्रतिनिधियों और मीडिया को एकत्रित करने का अवसर बना। UNAOC की स्थापना के बीस वर्ष पूरे होने पर यह आयोजन वैश्विक समुदाय को स्थायी शांति, आपसी सम्मान और साझा मानवता की ओर नवीन प्रतिबद्धता दिलाने का प्रयास था।
भारत का संदेश इस बात का प्रमाण है कि वह संवेदनशील वैश्विक मुद्दों पर सकारात्मक भूमिका निभाने और सभ्यताओं के संवाद के माध्यम से वैश्विक समरसता को बढ़ावा देने में अग्रणी बना हुआ है।