संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: कृत्रिम बुद्धिमत्ता से बढ़ सकती है वैश्विक असमानता

संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: कृत्रिम बुद्धिमत्ता से बढ़ सकती है वैश्विक असमानता

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की एक नई रिपोर्ट ने आगाह किया है कि यदि नीतिगत स्तर पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अमीर और गरीब देशों के बीच की खाई को और गहरा कर सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहाँ एआई में परिवर्तनकारी संभावनाएँ हैं, वहीं इसके लाभ मुख्यतः विकसित अर्थव्यवस्थाओं को मिल रहे हैं, जिससे कमजोर आबादियाँ पीछे छूट सकती हैं।

नई तकनीकी असमानता का खतरा

यूएनडीपी ने इस दौर की तुलना औद्योगिक क्रांति के “ग्रेट डाइवर्जेंस” से की है, जब तकनीकी प्रगति ने कुछ देशों को आगे बढ़ाया और बाकी को स्थिर कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, जिन देशों में इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिजिटल कौशल और विश्वसनीय ऊर्जा ढांचा कमजोर है, वे एआई आधारित विकास से बाहर रह सकते हैं। संघर्षग्रस्त क्षेत्र, वृद्ध होती जनसंख्या, और आपदाओं से विस्थापित समुदाय विशेष रूप से संवेदनशील हैं, क्योंकि वे अक्सर उन डेटा सेटों में शामिल नहीं होते जो एआई प्रणालियों को प्रशिक्षित करते हैं।

अवसर समान हों तो विकास समावेशी बन सकता है

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि बुनियादी अंतर दूर किए जाएँ, तो एआई एक समावेशी विकास उपकरण बन सकता है। यह कृषि में सटीकता लाने, बीमारियों के त्वरित निदान, आपदा आकलन में तेजी और सरकारी सेवाओं की दक्षता बढ़ाने में मदद कर सकता है। विशेष रूप से ग्रामीण या आपदा-प्रवण क्षेत्रों में एआई आधारित समाधान सेवा वितरण को सुदृढ़ कर सकते हैं और आपात स्थितियों में प्रतिक्रिया समय घटा सकते हैं।

पर्यावरणीय, नैतिक और सुरक्षा चुनौतियाँ

विकसित देशों में भी एआई की तीव्र वृद्धि पर्यावरणीय दबाव बढ़ा रही है। डेटा सेंटरों की बढ़ती संख्या से बिजली और पानी की खपत में भारी वृद्धि हो रही है, जो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, गोपनीयता उल्लंघन, अपारदर्शी एल्गोरिद्म, डीपफेक तकनीक और एआई-सक्षम साइबर हमले गंभीर नैतिक और सुरक्षा जोखिम उत्पन्न कर रहे हैं। रिपोर्ट ने इन जोखिमों से निपटने के लिए पारदर्शिता, साइबर सुरक्षा निवेश और सशक्त नियामक तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यूएनडीपी रिपोर्ट के अनुसार, एआई वैश्विक असमानता को बढ़ा सकता है।
  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लगभग 25% लोगों के पास अभी भी इंटरनेट की पहुँच नहीं है।
  • डेटा सेंटरों की बिजली और पानी की खपत पर्यावरणीय चिंता का विषय बनी हुई है।
  • एआई का उपयोग कृषि, स्वास्थ्य सेवा और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है।

क्षेत्रीय असमानता और सशक्त शासन की आवश्यकता

रिपोर्ट में उल्लेख है कि चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देशों को एआई से अधिक लाभ मिलने की संभावना है, जबकि अफगानिस्तान, मालदीव और म्यांमार जैसे देशों में आवश्यक डिजिटल आधारभूत संरचना का अभाव है। यहाँ तक कि देशों के भीतर भी असमानता बढ़ने का खतरा है, जिससे ग्रामीण और हाशिये पर बसे समुदाय डिजिटल प्रगति से वंचित रह सकते हैं।

Originally written on December 2, 2025 and last modified on December 2, 2025.

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