संथाली लिपि ‘ओल चिकी’ के शताब्दी समारोह और एनआईटी जमशेदपुर दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की पहली आधिकारिक यात्रा
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 29 दिसंबर को अपनी पहली आधिकारिक यात्रा के तहत झारखंड के जमशेदपुर और आदित्यपुर पहुंचेंगी। यह एक दिवसीय यात्रा सांस्कृतिक और शैक्षणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जो राज्य की आदिवासी विरासत और उच्च शिक्षा से जुड़ी दो अहम घटनाओं को केंद्र में रखती है।
ओल चिकी लिपि की शताब्दी का उत्सव
राष्ट्रपति मुर्मू करंडीह, सुंदरनगर स्थित दिसोम जाहेर में आयोजित ओल चिकी लिपि की खोज के शताब्दी समारोह में भाग लेंगी। यह लिपि 1925 में पंडित रघुनाथ मुर्मू द्वारा संथाली भाषा और सांस्कृतिक पहचान को प्रोत्साहित करने हेतु विकसित की गई थी। राष्ट्रपति सप्ताह भर चलने वाले इस साहित्यिक-सांस्कृतिक सेमिनार के समापन दिवस पर मुख्य भाषण देंगी, जिसमें संथाली लिपि के संरक्षण और संवर्धन पर विशेष ध्यान दिया गया है।
ओल चिकी की सांस्कृतिक महत्ता
ओल चिकी एक विशिष्ट आदिवासी लिपि है, जो संथाली साहित्य, शिक्षा और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का प्रमुख माध्यम रही है। बीते सौ वर्षों में यह लिपि जनजातीय पहचान का मजबूत प्रतीक बनकर उभरी है। इस शताब्दी आयोजन के माध्यम से न केवल आदिवासी ज्ञान परंपराओं को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल रही है, बल्कि भारत की भाषायी विविधता का भी सम्मान किया जा रहा है।
एनआईटी जमशेदपुर के दीक्षांत समारोह में भागीदारी
करंडीह कार्यक्रम के पश्चात राष्ट्रपति मुर्मू नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी), जमशेदपुर जाएंगी, जहां वे 15वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करेंगी। इस अवसर पर वे नवस्नातक छात्रों को डिग्री और स्वर्ण पदक प्रदान करेंगी। यह संस्थान 1960 में रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रूप में स्थापित हुआ था और 2002 में इसे एनआईटी का दर्जा प्राप्त हुआ। 2007 में इसे राष्ट्रीय उत्कृष्टता संस्थान (Institute of National Eminence) के रूप में घोषित किया गया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ओल चिकी लिपि की रचना 1925 में पंडित रघुनाथ मुर्मू द्वारा की गई थी।
- राष्ट्रपति मुर्मू का यह जमशेदपुर क्षेत्र का पहला आधिकारिक दौरा होगा।
- एनआईटी जमशेदपुर को पहले रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कहा जाता था।
- इस संस्थान को 2002 में एनआईटी और 2007 में Institute of National Eminence का दर्जा मिला।
राष्ट्रपति की इस यात्रा के मद्देनज़र प्रशासनिक स्तर पर व्यापक सुरक्षा और व्यवस्थाएं की जा रही हैं। यातायात योजना, पुलिस बल की तैनाती, चिकित्सा सुविधाएं और काफिले के मार्ग को लेकर जिला प्रशासन और यातायात पुलिस सतर्कता बरत रही है। यह यात्रा न केवल झारखंड की सांस्कृतिक गरिमा को राष्ट्रीय पटल पर प्रस्तुत करती है, बल्कि राज्य के शैक्षणिक संस्थानों की उपलब्धियों को भी सम्मानित करती है।