संगीता बुरुआ पिशारोटी बनीं प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की पहली महिला अध्यक्ष: पत्रकारिता में ऐतिहासिक बदलाव
वरिष्ठ पत्रकार संगीता बुरुआ पिशारोटी को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की पहली महिला अध्यक्ष के रूप में चुना गया है, जो देश के सबसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में से एक में नेतृत्व प्रतिनिधित्व के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव को दर्शाता है। यह चुनाव परिणाम दिल्ली के पत्रकार समुदाय में एक नई सोच और दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।
प्रेस क्लब चुनाव में ऐतिहासिक जनादेश
पिशारोटी के नेतृत्व वाले पैनल ने चुनाव में सभी पदों पर 21-0 से शानदार जीत दर्ज की। शनिवार को हुए मतदान की गिनती रविवार को हुई और परिणाम ने उनके नेतृत्व, दृष्टिकोण और पत्रकार हितों के प्रति प्रतिबद्धता को स्पष्ट जनसमर्थन दिया।
यह निर्णायक जनादेश उस समय आया है जब मीडिया उद्योग पेशेवर, नैतिक और संस्थागत चुनौतियों से जूझ रहा है।
नए पदाधिकारी और टीम संरचना
संगीता पिशारोटी के अध्यक्ष बनने के साथ-साथ:
- अफज़ल इमाम को सचिव जनरल चुना गया,
- जतिन गांधी को उपाध्यक्ष,
- आदिति राजपूत को कोषाध्यक्ष और
- पी.आर. सुनील को संयुक्त सचिव चुना गया।
इनमें से कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव बिना विरोध के निर्वाचित हुए। यह नई टीम पत्रकारों की भलाई, प्रेस स्वतंत्रता, और क्लब में संस्थागत सुधारों को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
प्रबंध समिति की विविध रचना
प्रेस क्लब की प्रबंध समिति में कुल 16 सदस्य शामिल हैं, जो प्रिंट, डिजिटल और ब्रॉडकास्ट पत्रकारिता के विविध क्षेत्रों से आते हैं:
- नीरज कुमार
- अभिषेक कुमार सिंह
- जाह्नवी सेन
- अशोक कौशिक
- कल्लोल भट्टाचार्य
- प्रवीण जैन
- अग्रज प्रताप सिंह
- मनोज शर्मा
- न्यानिमा बसु
- पी. बी. सुरेश
- वी. पी. पांडे
- प्रेम बहुखंडी
- स्नेहा भुरा
- जावेद अख्तर
- रेज़ाउल हसन लस्कर
- सुनील कुमार
यह रचना क्लब में विविध विचारों और मीडिया अनुभवों को प्रतिनिधित्व प्रदान करती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में स्थित है और सभी मीडिया प्लेटफॉर्म के पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करता है।
- संगीता बुरुआ पिशारोटी, क्लब के इतिहास में पहली महिला अध्यक्ष बनी हैं।
- 2025 के चुनाव में एक ही पैनल ने सभी पदों पर पूर्ण जीत (21-0) दर्ज की।
- प्रबंध समिति में कुल 16 निर्वाचित सदस्य हैं।
भारतीय पत्रकारिता के लिए प्रतीकात्मक महत्व
संगीता पिशारोटी का अध्यक्ष बनना भारतीय मीडिया संस्थानों में लिंग प्रतिनिधित्व की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है। यह बदलाव ऐसे समय आया है जब पत्रकार संपादकीय संरचनाओं में परिवर्तन, सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ, और प्रेस की स्वतंत्रता पर हो रही बहसों से जूझ रहे हैं।
नई कार्यकारिणी से संस्थागत पारदर्शिता, सदस्य सक्रियता, और पत्रकारों के अधिकारों की वकालत को नई दिशा देने की उम्मीद की जा रही है।