श्रम शक्ति नीति 2025: सार्वभौमिक और पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम

भारत सरकार द्वारा हाल ही में जारी की गई “श्रम शक्ति नीति 2025” देश के श्रमिकों के लिए एक समावेशी, न्यायपूर्ण और भविष्य-उन्मुख श्रम प्रणाली की परिकल्पना करती है। यह नीति न केवल कार्यस्थलों को सुरक्षित और उत्पादक बनाने का लक्ष्य रखती है, बल्कि प्रत्येक श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा की सुविधा भी सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत प्रयास है।
सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा की परिकल्पना
इस नीति का सबसे प्रमुख तत्व है — सार्वभौमिक और पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा का ढांचा। इसके तहत सरकार एक एकीकृत श्रमिक खाता बनाने की योजना बना रही है जिसमें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC), प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY), ई-श्रम पोर्टल और राज्य स्तरीय कल्याण बोर्डों को एक मंच पर लाया जाएगा। इस खाता प्रणाली से श्रमिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने पर भी उनकी सामाजिक सुरक्षा की सुविधा निर्बाध रूप से मिलती रहेगी।
महिला श्रम शक्ति और युवाओं पर विशेष ध्यान
नीति में महिला श्रम भागीदारी को 2030 तक 35% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही युवाओं के लिए करियर मार्गदर्शन, उद्यमिता को प्रोत्साहन, और कौशल विकास योजनाओं का समन्वय भी प्रस्तावित है। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि देश की आर्थिक विकास दर में भी तेजी आएगी।
डिजिटल अनुपालन और सुशासन
श्रम शक्ति नीति 2025 में MSMEs के लिए डिजिटल अनुपालन को सरल बनाने हेतु सिंगल विंडो सिस्टम, सेल्फ-सर्टिफिकेशन और सरलीकृत रिटर्न जैसे उपाय प्रस्तावित हैं। साथ ही नीति में AI आधारित सुरक्षा प्रणाली, ग्रीन जॉब्स को बढ़ावा, और ‘वन नेशन इंटीग्रेटेड वर्कफोर्स’ की परिकल्पना के माध्यम से भविष्य के श्रम बाजार के लिए भारत को तैयार किया जाएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ई-श्रम पोर्टल देश का पहला राष्ट्रीय डेटाबेस है जो असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को एक पहचान नंबर (UAN) प्रदान करता है।
- EPFO और ESIC जैसी संस्थाएं संगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भविष्य निधि और स्वास्थ्य बीमा जैसी सेवाएं प्रदान करती हैं।
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजना है।
- श्रम शक्ति नीति 2025 तीन चरणों में लागू की जाएगी: संस्थागत ढांचा (2025–27), राष्ट्रव्यापी विस्तार (2027–30), और पूर्णत: डिजिटल शासन (2030 के बाद)।