शौर्य दिवस 2025: पैदल सेना की वीरता को समर्पित एक गौरवमयी श्रद्धांजलि
भारतीय सेना ने आज 27 अक्टूबर को पूरे सम्मान और गौरव के साथ ‘इन्फैंट्री डे’ यानी ‘शौर्य दिवस’ मनाया। यह दिन भारतीय पैदल सेना की अद्वितीय वीरता, बलिदान और अटूट राष्ट्रभक्ति को स्मरण करने का अवसर होता है। इस अवसर पर नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक पर एक भव्य पुष्पांजलि समारोह आयोजित हुआ, जिसमें राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
थलसेना प्रमुख द्वारा श्रद्धांजलि अर्पण
थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ‘अमर चक्र’ पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन पैदल सैनिकों को नमन किया जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया। इस भावपूर्ण समारोह में वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, सेवारत सैनिक, पूर्व सैनिक और वीरगति को प्राप्त जवानों के परिजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
वीर चक्र विजेताओं की उपस्थिति और विविध कार्यक्रम
इस समारोह की गरिमा तीन वीर चक्र विजेता पूर्व सैनिकों की उपस्थिति से और बढ़ गई — मेजर (सेनि.) आशीष सोनल (ऑपरेशन पवन, 1990), सूबेदार मेजर एवं मानद कैप्टन (सेनि.) कुंवर सिंह (ऑपरेशन मेघदूत, 1989), और लांस नायक (सेनि.) अमृत (ऑपरेशन कैक्टस लिली, 1971)। इन वीरों ने पैदल सेना के प्रतिनिधि के रूप में पुष्पांजलि अर्पित की और सैनिक परंपरा की गौरवशाली विरासत को सम्मानित किया।
देशभर में शौर्य दिवस की श्रृंखला में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें लखनऊ में ‘फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा मेमोरियल सेमिनार’, दिल्ली छावनी में ‘शौर्यवीर रन’ और ‘वीर नारियों’ का सम्मान समारोह प्रमुख रहे। साथ ही ‘इन्फैंट्री मैगज़ीन’ का विमोचन भी किया गया, जिसमें पैदल सेना की क्षमताओं और वीरगाथाओं को विस्तार से प्रस्तुत किया गया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- इन्फैंट्री डे हर वर्ष 27 अक्टूबर को मनाया जाता है, क्योंकि 1947 में इसी दिन भारतीय पैदल सैनिक श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतरे थे।
- इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान समर्थित कबायलियों के आक्रमण को विफल कर भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा की थी।
- ऑपरेशन पवन, मेघदूत और कैक्टस लिली भारतीय सेना के तीन प्रमुख सैन्य अभियान हैं जिनमें पैदल सेना की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही।
- फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा भारतीय थलसेना के पहले भारतीय मूल के कमांडर-इन-चीफ थे।
शौर्य दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि भारतीय पैदल सेना ने हर चुनौती में राष्ट्र की रक्षा करते हुए साहस, अनुशासन और बलिदान की अमिट मिसाल कायम की है। यह दिन न केवल वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, बल्कि सम्पूर्ण देशवासियों के लिए देशभक्ति, कर्तव्य और एकता का प्रेरणास्त्रोत भी है।