शेनझोउ-22 का आपात प्रक्षेपण: चीन ने अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की
चीन ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए अपने अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी के लिए बिना चालक वाले अंतरिक्ष यान शेनझोउ-22 (Shenzhou-22) का आपात प्रक्षेपण किया है। यह मिशन तब शुरू किया गया जब शेनझोउ-20 यान के पुनःप्रवेश मॉड्यूल में दरार आने से वर्तमान चालक दल के पास पृथ्वी लौटने का कोई तत्काल साधन नहीं बचा था।
जिउक्वान से आपात प्रक्षेपण
25 नवंबर को दोपहर 12:11 बजे लॉन्ग मार्च-2एफ (Long March 2F) रॉकेट को चीन के गांसू प्रांत स्थित जिउक्वान उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। चीन की मानवयुक्त अंतरिक्ष एजेंसी (CMSA) ने पुष्टि की कि शेनझोउ-22 ने नियत कक्षा में प्रवेश कर लिया है और अब वह तियानगोंग अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ गया है। इससे 1 नवंबर से वहां तैनात अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक सुरक्षित निकासी मार्ग सुनिश्चित हो गया है।
शेनझोउ-20 की घटना और विलंब
इस आपात प्रक्षेपण का कारण शेनझोउ-20 यान में आई तकनीकी खराबी थी। रिपोर्टों के अनुसार, उसके रिटर्न कैप्सूल की खिड़की पर अंतरिक्ष मलबे (space debris) की टक्कर से दरार आ गई थी। इस क्षति के चलते चालक दल की वापसी में नौ दिन की देरी हुई। अंततः वे शेनझोउ-21 के माध्यम से सुरक्षित पृथ्वी पर लौटे, लेकिन इससे नए दल के पास तत्काल वापसी यान उपलब्ध नहीं रहा।
मिशन के उद्देश्य और आपूर्ति
शेनझोउ-22 में तियानगोंग स्टेशन के लिए आवश्यक रखरखाव उपकरण, स्पेयर पार्ट्स और शेनझोउ-20 की मरम्मत सामग्री भेजी गई हैं। इसके साथ ही इसमें चालक दल के लिए नए जीवन-समर्थन संसाधन और भोजन भी शामिल हैं। यह यान अब अप्रैल 2026 तक स्टेशन के साथ जुड़ा रहेगा और मौजूदा अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर लौटाने का कार्य करेगा। यह पहली बार है जब चीन ने इतने कम समय मात्र 16 दिनों में आपात मानव मिशन समर्थन यान तैयार कर लॉन्च किया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- शेनझोउ मिशन में सामान्यतः तीन सदस्यीय दल छह महीने तक कार्य करता है।
- प्रत्येक मिशन के लिए चीन बैकअप रॉकेट और अंतरिक्ष यान पहले से तैयार रखता है।
- तियानगोंग स्टेशन 2021 से सक्रिय है और आकार में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से छोटा है।
- शेनझोउ-20 यान की खिड़की में आई दरार का कारण संभवतः कक्षीय मलबे की टक्कर थी।
चीन की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमता
यह आपात मिशन चीन की तकनीकी परिपक्वता और तत्काल प्रतिक्रिया क्षमता का प्रमाण है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर रखे जाने के बावजूद चीन ने स्वतंत्र रूप से अपने मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। वर्तमान में चीन और अमेरिका दोनों ही 2030 तक चंद्रमा पर मानव भेजने के लक्ष्य पर कार्यरत हैं, जिससे अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा और भी तीव्र हो गई है।