शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप: बांग्लादेश के राजनीतिक संकट की गहराई

बांग्लादेश का ‘इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल’ (ICT) 1973 में ‘इंटरनेशनल क्राइम्स (ट्राइब्यूनल्स) एक्ट’ के तहत बनाया गया था, जिसका उद्देश्य 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए युद्ध अपराधों, नरसंहार, और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच और सजा सुनिश्चित करना था। हालाँकि इसकी स्थापना मुक्ति संग्राम के तुरंत बाद हुई थी, लेकिन इसका सक्रिय पुनरुद्धार 2009 में शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा किया गया, जिसमें राजनीतिक विरोधियों को न्याय के दायरे में लाया गया।
हसीना पर लगे आरोप: मानवता के खिलाफ गंभीर आरोप
1 जून 2025 को, ICT ने यह स्वीकार कर लिया कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप लगाए जा सकते हैं। उन्हें 16 जून को न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया गया है। हसीना अगस्त 2024 से भारत में निर्वासन में हैं, जब छात्र आंदोलनों से शुरू हुआ जनविरोध उनके 15 वर्षीय शासन का अंत लेकर आया।
प्रमुख आरोपों में शामिल हैं:
- नरसंहार और हत्या का आदेश देना: हसीना पर आरोप है कि उन्होंने प्रदर्शनकारी छात्रों पर ड्रोन, हेलीकॉप्टर और घातक हथियारों का प्रयोग कर ‘नाश अभियान’ चलाने का आदेश दिया।
- प्रदर्शनकारियों की हत्याएँ: अबु सईद नामक छात्र की हत्या के अलावा, ढाका के चांखरपुल और अशुलिया में छह-छह निहत्थे छात्रों की हत्या के मामलों में भी उनके खिलाफ केस दर्ज है।
- मानवता के खिलाफ कृत्य: कानून व्यवस्था और सत्ताधारी अवामी लीग से जुड़े सशस्त्र कार्यकर्ताओं द्वारा नागरिकों पर किए गए हमलों में शेख हसीना पर उकसाने, सहमति देने और रोकने में विफल रहने का आरोप है।
‘फ्रीडम फाइटर्स’ कोटा विवाद से उपजे जनांदोलन
यह विरोध आंदोलन तब शुरू हुआ जब सरकार ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में ‘मुक्तियुद्ध सेनानियों के वंशजों’ के लिए कोटा को बरकरार रखा। छात्रों ने इस फैसले का विरोध किया और धीरे-धीरे यह आंदोलन हसीना विरोधी बन गया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को ‘राजकारों की संतान’ कहकर भड़काऊ टिप्पणी की, जिससे मामला और भड़का।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- बांग्लादेश का इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल 2009 में पुनः सक्रिय हुआ था।
- शेख हसीना के शासनकाल में ICT ने 100 से अधिक लोगों को मृत्युदंड सुनाया।
- यह अदालत अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों द्वारा निष्पक्षता और मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों के चलते आलोचना का केंद्र रही है।
- न्यायाधिकरण बिना अभियुक्त की उपस्थिति के भी मुकदमे चलाने की अनुमति देता है, जो अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के खिलाफ माना जाता है।
- भारत को दिसंबर 2024 में हसीना के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध भेजा गया था।
बांग्लादेश में इस समय राजनीतिक संकट अपने चरम पर है, और शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ गंभीर आरोप न केवल उनके भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और न्याय प्रणाली की भी अग्निपरीक्षा बन चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस पर निगरानी बनी हुई है, और आने वाले दिनों में बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा स्पष्ट होगी।