शिबपुर डकैती केस

30 सितंबर 1915 को जुगांतर पार्टी के बारिसल समूह के बाईस क्रांतिकारियों के एक समूह ने नादिया पुलिस स्टेशन के तहत शिबपुर में राजनीतिक डकैती की। उन्होंने बंदूकों और माउज़र पिस्तौल से लैस होकर क्रिस्टो बिस्वास के घर पर छापा मारा, जो एक धनवान साहूकार था और रेलवे स्टेशन से नौ मील दूर झालंगी नदी के पास रहता था। रुपये के मूल्य को नकद और गहने सहित 20,000 लूटे गए। उन्हें ग्रामीणों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और पुलिस ने भी दोनों ओर से नदी के किनारे उनका पीछा किया। गोलीबारी में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई। शिबपुर डकैती कांड और नरेन घोष चौधरी को 29 नवंबर 1915 को गिरफ्तार किया जाना अंतिम था। उन्हें भारत रक्षा अधिनियम के तहत नियुक्त एक विशेष आयुक्त द्वारा आजमाया गया था। 15 फरवरी 1916 को फैसले की घोषणा की गई। नरेन घोष चौधरी, निखिल गुहा रॉय, सुरेंद्र नाथ विश्वास, संयुक्ता चटर्जी, सत्य रंजन बसु, जतिंद्र नाथ नंदी, कालधरन दास, भूपेंद्र नाथ घोष, हरेंद्र नाथ काव्यतीर्थ (संस्कृतिकर्मी) को दस साल की सजा दी गई। उन्हें सजा काटने के लिए अंडमान भी भेजा गया था।

Originally written on February 6, 2021 and last modified on February 6, 2021.

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